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Exclusive : देश में अलग तरह की दिखेगी कानपुर और आगरा की मेट्रो

देश की अन्य मेट्रो परियोजनाओं से आगरा और कानपुर की मेट्रो अलग ही दिखेगी। ओएचई लाइन ट्रैक के नीचे होने के कारण इन दोनों स्थानों की ट्रेनों की डिजाइन फ्लैटेड की जा सकेगी। 

मेट्रो को देखते हुए कानपुर और आगरा में ओएचई लाइन ट्रैक के साथ बिछाए जाने के टेंडर हो चुके हैं। अब यह काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। पहले ओएचई लाइनें मेट्रो ट्रेनों की छतों के ऊपर से गुजरती थीं। इसलिए ट्रेनों की छतों को गोल बनाना पड़ता था। इससे अतिरक्त खर्च भी होता था। छतों की डिजाइन एक ही तरह की करनी पड़ती थी। अब ओएचई लाइन नीचे होने के कारण छतों की डिजाइन बदली जा सकेगी। इसे बिल्कुल फ्लैट बनाया जा सकेगा, जिससे खर्च में भी कटौती होगी। 

डिजाइन होगी खूबसूरत
आगरा और कानपुर दोनों परियोजनाओं में मेट्रो के रैक की डिजाइन खूबसूरत होगी। इसके लिए यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने इंजीनियरों के साथ बात की है। कई तरह के डिजाइन का विकल्प मांगा है। खास तौर पर छतों की डिजाइन आकर्षक बनाने की तैयारी है। दूसरी ओर दोनों परियोजनाओं में लिफ्ट लगाने का टेंडर भी स्वीकृत हुआ है। यह काम जॉनसन कंपनी को दिया गया है। 

कानपुर में सात किलोमीटर तक पिलर तैयार
आईआईटी से मोतीझील के बीच सात किलोमीटर तक 400 पिलर खड़े किए जा चुके हैं। अब सिर्फ दो किलोमीटर का काम बचा है। अगर निर्माण की यही रफ्तार रही तो नवंबर में मेट्रो का ट्रायल मुश्किल नहीं होगा। गुरुदेव चौराहे तक डबल टी गर्डर डालने का काम भी पूरा हो चुका है। पहले चरण में 513 पिलर का निर्माण होना था, जिसमें बाकी 20 पिलर की ही नींव पड़नी है। बाकी 93 पिलर खड़े किए जाने का काम चल रहा है।

पांच स्टेशनों का आधार तैयार
आईआईटी से लेकर गुरुदेव तक सभी पांच मेट्रो स्टेशनों के पहले तल का आधार तैयार हो चुका है। कल्याणपुर, एसपीएम अस्पताल, विश्वविद्यालय और गुरुदेव मेट्रो स्टेशनों के सभी डबल टी गर्डर रखे जा चुके हैं। बताते चलें कि 9 मेट्रो स्टेशनों के लिए 434 डबल टी गर्डर का परिनिर्माण होना था, जिसमें से 332 टी गर्डर रखे जा चुके हैं।

कानपुर और आगरा मेट्रो के लिए कई प्रयोग किए गए हैं। इनसे कई लाभ होंगे। खर्च भी कम होगा और काम भी तेजी से होगा। कानपुर में निर्माण की रफ्तार शुरू से तेज है। हम लगातार अपनी सीमाओं और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।