कोरोना से जारी जंग में काशी की धरा ने नई मिसाल पेश की है। देवाधिदेव महादेव की इस धरती ने स्वत: लॉकडाउन करके पूरी दुनिया के सामने नजीर प्रस्तुत की। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में काफी हद तक खुद को संभाल चुके बनारस के लोगों से शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवाद रहे थे तो उन्होंने फिर एक बार खुले दिल से काशी मॉडल को सराहा।
प्रधानमंत्री भी चाहते हैं कि काशी के मॉडल को पूरे देश में अपनाया जाए। काशीवासियों से संवाद के बाद अब प्रधानमंत्री कार्यालय बनारस के प्रयासों पर डाक्यूमेंट्री को पूरे देश में एडवाइजरी के साथ जारी करेगा। पीएम मोदी की सराहना वालेे काशी मॉडल में ट्रेस, ट्रैक और ट्रीट के समावेश के साथ जनसहभागिता की बड़ी भूमिका रही है।
दरअसल, तीन अप्रैल से काशी में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेज हुई और चार पांच दिन बाद ही महामारी भवायह रूप लेने लगी। सबसे पहले काशी के व्यापारियों ने पहल कर स्वत: लॉकडाउन का निर्णय किया। इसके बाद संसाधनों को जुटाने में मदद के हाथ खूब बढ़े। डेढ़ महीने के सफर में वाराणसी के अस्पताल ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर हुए और सबसे अहम बात यह है कि इसमें सरकारी मदद नहीं के बराबर रही।
दाद देनी होगी यहां के प्रशासन की भी कदम से कदम मिलाकर उन्होंने इस लड़ाई को निर्णायक मोड़ तक लाए। डेढ़ महीने में करीब 85 हजार लोग कोरोना जांच में पाजीटिव पाए गए। इतनी ही संख्या में लक्षण वालों तक कोरोना किट पहुंचाकर आंशिक बीमार को अस्पताल आने से रोकने का प्रयास किया गया।
जहां 23 अप्रैल को सबसे ज्यादा एक दिन में 2700 केस थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 250 आ गई है। इसके अलावा 18 अप्रैल को 40.2 संक्रमण दर था जो कि अब कम होकर 3 प्रतिशत तक आ गया है।
बनारस मॉडल में ऐसा किया जा रहा काम
सुनियोजित योजना के तहत रोजाना अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाई गई। निजी अस्पतालों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए और दवाओं की कलाबाजारी रोकने के लिए मजिस्ट्रेट नियुक्त किए गए। छोटे-छोटे कंटेनमेंट जोन बनाए गए। 438 सदस्यों की 174 निगरानी समितियां बनाई गईं।
हर समिति के सदस्यों को पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर और दवाओं की किट दी गई। ट्रेसिंग में कोई संदिग्ध मिला तो दवा शुरू करने के साथ ही उसका आरटीपीसीआर टेस्ट कराया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि स्मार्ट सिटी कंपनी के सिटी कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को कोविड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के तौर पर विकसित किया गया।
कंटेनमेंट जोन की घेराबंदी समेत सभी कामों के लिए संबंधित विभागों की डेस्क बनाई गई। होम आइसोलेशन में रहने वालों के लिए और टेली मेडिसिन के लिए भी कमांड सेंटर में अलग डेस्क बनाई गई। 4,525 कंटेनमेंट जोन और 109 घनी बस्तियों में नियमित सैनिटाइजेशन किया जा रहा है। सभी विभागों की टीम के काम की रोजाना समीक्षा के साथ जवाबदेही तय की जाती है।
टीकाकरण में भी तेजी से बड़ा ग्राफ
कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि कोरोना टीका करण का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। अब तक 4,25,000 लोगों का टीकाकरण जिले में किया जा चुका है। 3,37000 को पहली और दूसरी डोज में 90000 लोगों का टीकाकरण किया जा चुका है। वही टीके की बेकार होने वाली डोज पहले जहां 7 प्रतिशत थी वह घटकर 1.94 तक आ गया है।