स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डॉ. एपी सिंह ने डीएम मार्कंडेय शाही पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए बुधवार को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद देर रात में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के पदाधिकारियों के साथ जिले के सभी 16 सीएचसी और पीएचसी अधीक्षकों ने बैठक की और डीएम की कार्यशैली से नाराज होकर पद से सामूहिक इस्तीफा देने का निर्णय लिया। उन्होंने सीएमओ डॉ. आरएस केसरी को पद से इस्तीफे का पत्र भी सौंप दिया है। \
एसीएमओ और सीएचसी-पीएचसी अधीक्षकों ने डीएम पर असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करने और चिकित्सकों को अपमानित करने का आरोप लगाया है। एसीएमओ डॉ. सिंह के इस्तीफा देने के बाद विवाद और बढ़ गया। एसीएमओ ने सीएमओ और स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह को भेजे इस्तीफे में लिखा है कि मंगलवार शाम को हुई समीक्षा बैठक में गोंडा जिलाधिकारी ने उन्हें आपत्तिजनक बातें कही। उन्हें एसीएमओ से प्रभारी चिकित्साधिकारी तक बनाए जाने की बात कही।
डीएम ने इससे पहले भी उनका मनोबल तोड़ने के लिए कई बार प्रयास किया। यहां तक कि जमूरा, निकम्मा इत्यादि शब्दों का प्रयोग उनके लिए किया। त्यागपत्र के मुताबिक निगरानी समितियों के मेडिकल किट की समीक्षा के मामले में भी उन्हें डांट-फटकार लगाई गई। क्लस्टर कोविड टीकाकरण के लिए पोर्टल पर फीडिंग की बात उठाने पर डीएम ने उनके साथ अनुचित व्यवहार किया।
डीएम ने कहा कि सीएमओ और उनके (एसीएमओ) रहते जनपद में कोई काम नहीं हो सकता। डॉ. सिंह ने दावा किया कि जनपद को स्वास्थ्य मानकों में 73वें से 23वें स्थान पर लाने में उन्होंने योगदान दिया। इसके बावजूद डीएम द्वारा शासकीय चिकित्सकों को अपमानित किए जाने के कारण मर्माहत हैं। कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित करने के बजाय उन्हें अपमानित किया गया।
एसीएमओ ने इस्तीफे के अंत में लिखा कि मैं अपर मुख्य चिकित्साधिकारी के रूप में मानसिक आहत होने के कारण अपनी सेवाएं दे पाने में सक्षम नहीं हूं। एसीएमओ के इस्तीफे के बाद जिले के सीएचसी और पीएचसी अधीक्षकों ने डीएम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
देर रात बैठक कर उन्होंने भी डीएम पर चिकित्सकों के प्रति अपमानजनक व्यवहार और टिप्पणी करने का आरोप लगाया और अपने पद से सामूहिक इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि चिकित्सकों के समर्थन में गुरुवार को कुछ और स्वास्थ्य संगठन भी आ सकते हैं।