राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में आयोजित भव्य समारोह में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय और अधिवक्ता चैंबर का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में विश्व की श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली को अपनाई जाए। साथ ही उनका विशेष जोर न्याय पालिका क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को लेकर रहा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय देश में विधि के क्षेत्र में एक नया आयाम स्थापित करेगा। यहां पर विश्व की श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली को अपनाई जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को गुणवत्ता युक्त कानून की शिक्षा मिल सके और वह न्याय के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित कर सकें। विश्वविद्यालय में महिला शिक्षकों छात्राओं की भी बराबर संख्या में भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय विधि विश्वविद्याल और अधिवक्ता चैंबर का शिलान्यास करके काफी प्रसन्नता हुई। न्यायाधीशों की संख्या की दृष्टि से इलाहाबाद हाईकोर्ट सबसे बड़ा कोर्ट है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की परंपरा, मदन मोहन, मोतीलाल, कैलाशनाथ काटजू आदि ने इसी परिसर से भारत इतिहास के गौरवशाली इतिहास लिखे।
उच्चतम न्यायालय में 33 में चार महिलाएं जो सबसे अधिक हैं। महिलाओं में न्याय प्रदान करने का प्राकृतिक गुण होता है। उनमें सबको न्याय देने की क्षमता होती है। न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। आज न्याय पालिका के क्षेत्र में महिला जजों की संख्या 12 प्रतिशत से भी कम है। महिलाओं की संख्या को बढ़ाना होगा। इस हाईकोर्ट में महिलाओं की संख्या अधिवक्ता, अधिकारी और न्यायाधीश के रूप में बढ़ेगी एसी अपेक्षा है। सामान्यता लोग न्यायपालिका से मदद लेने से हिचकिताते हैं। सभी को न्याय मिले। सभी को समझ में आने वाली भाषा में निर्णय हो। इलाहाबाद हाईकर्ट में पहली बार 1921 में महिला जज की नियुक्ति की गई थी।
महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले। सभी नागरिकों का मूलभूत अधिका है कि न्याय उनकी पकड़ में हो। जनसाधारण में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिए। लंबित मामलों का निस्तारण किया। जजों की संख्या बढ़ाई जाए। पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराया जाए। राज्य सरकार के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका अधिक है। विधि विश्वविद्यालय के लिए प्रयागराज ही सर्वोत्तम स्थान चुना गया। जमीन उपलब्ध कराने के लिए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और उनकी टीम के प्रति आभार जताया।
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय विधि व्यवस्था हमारे राष्ट्र और समाज में एक है। कक्षा 12 के बाद ही विधि पाठ्यक्रम में छात्र हिस्सा लेते हैं। स्कूल स्तर से ही कानून के क्षेत्र में कैरियर बनाते हैं। विधि शिक्षण के सभी संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए। व्यवस्था के निर्मित हो जाने के बाद सुधार की प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
यहां श्रेष्ठतम व्यवस्था की जाएगी। छात्राओं और शिक्षिकाओं पर जोर दिया जाना चाहिए। विश्व की श्रेष्ठतम पद्धतियों का अनुसरण इस विश्वविद्यालय में किया जाना चाहिए। आज ही के दिन 128 वर्ष पहले शिकागो में स्वामी विवेकानंद ने भारत के गौरवशाली परंपरा का गुणगान किया था। स्वामी जी ने हर प्रकार के उत्पीड़न का विरोध किया था। उन्होने सहिष्णुता का संदेश पूरी मानवता तक पहुंचाया था। 11 सितंबर को जो कीर्तिमान स्वामी जी ने स्थापित किया था उसका अनुसरण युवा करेंगे। अमेरिका यदि स्वामी विवेकानंद के विचारों का अनुसरण करता तो उसके यहां मानवता को दहलाने वाली 11/9 की घटना न होती।
इसके पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश सीजेआई ने न्यायालयों में लंबित मुकदमों की लगातार बढ़ रही संख्या पर चिंता जताते हुए मुकदमों के त्वरित निस्तारण पर जोर दिया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एतिहासिक फैसलों का भी जिक्र करते हुए 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जस्टिस जे लाल सिंह के द्वारा अयोग्य घोषित करने वाले फैसले का जिक्र करते हुए इसे एतिहासिक निर्णय बताया।
इसके पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के शिलान्यास को एतिहासिक बताया। कहा कि वर्षों से लंबित इस महापरियोजना का शिलान्यास शुरू कर धन जारी किया गया। विधि के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय विश्व में कीर्तिमान स्थापित करेगा। आध्यात्म के साथ ही प्रयागराज शिक्षा, न्याय और धर्म का भी संगम है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में विश्व की श्रेष्ठतम शिक्षा प्रणाली अपनाई जाए।
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