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यूपी विधानसभा चुनाव : कई सपा विधायकों के टिकट पर लटकी तलवार, दगाबाज निशाने पर

समाजवादी पार्टी विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाएगी। पार्टी टिकट देने से पहले संबंधित उम्मीदवार के क्षेत्र की तीन चरणों में स्क्रीनिंग कर रही है। यह काम पार्टी विधायकों के क्षेत्र में भी होगा। विधानसभा क्षेत्र में निष्क्रिय रहने वाले और जिला पंचायत में दगाबाजी करने वालों को कीमत चुकानी होगी। ऐसे में कई विधायकों के टिकट पर संशय है।

वर्तमान में सपा के 49 विधायक और 48 विधान परिषद सदस्य हैं। इनमें से कई विधान परिषद सदस्य भी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। विभिन्न दलों से आने वाले वरिष्ठ नेता भी टिकट चाह रहे हैं। कुछ को पार्टी हाईकमान की ओर से आश्वासन भी दिया गया है। पार्टी ने जिन सीटों पर सपा के विधायक नहीं हैं, उन पर आवेदन मांगा था। लेकिन कई सपा विधायकों के क्षेत्र से भी आवेदन आए हैं। 

सूत्र बताते हैं पार्टी नेतृत्व टिकट बंटवारे में किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता है। हर कदम पर चौकसी बरती जा रही है। टिकट दावेदारों की लंबी फेहरिस्त होने के बाद भी फूंक- फूंक कर कदम रखा जा रहा है। हर हाल में जिताऊ  उम्मीदवार ही मैदान में उतारा जाएगा। जिस पर किसी तरह का संशय होगा, उसे दूसरे विकल्प दिए जाएंगे। पार्टी नेतृत्व ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र में एक चरण का सर्वे करा चुका है। जहां विधायक नहीं हैं, वहां अलग-अलग टीमें जाकर सियासी ताप का अंदाजा लगा चुकी हैं। अब विधायकों के क्षेत्र की भी स्क्रीनिंग की जा रही है। 

पार्टी के रणनीतिकार इस बात का आकलन कर रहे हैं कि संबंधित विधायक की कार्यकर्ताओं और जनता के बीच पकड़ कितनी है। कई पार्टी विधायक के प्रति नाराजगी है तो उसके कारणों की पड़ताल की जा रही है। संबंधित सीट पर पार्टी विधायक और दूसरे दल से आने वालों में जनता किसे बेहतर मानती है, इसकी भी स्क्रीनिंग की जा रही है। पार्टी विधायकों ने अपने क्षेत्र के साथ आसपास की सीट पर पार्टी का कितना प्रभाव बनाया है, इसका भी आकलन किया जा रहा है।

निष्क्रिय, गलतबयानी और दगाबाजी करने वाले निशाने पर
पार्टी हाईकमान उन विधायकों पर विशेष निगरानी रख रहा है, जो चुनावी सीजन होने के बाद भी निष्क्रिय हैं। जनता के बीच पार्टी की बात नहीं पहुंचा पा रहे हैं। इसी तरह जिनकी बयानबाजी से पार्टी की किरकिरी हुई और जिला पंचायत चुनाव में दगाबाजी करने वाले भी चिह्नित किए गए हैं। इन विधायकों पर पार्टी हाईकमान जिला पंचायत चुनाव के तत्काल बाद कार्रवाई करने के मूड में था, लेकिन सियासी रणनीति के तहत कार्रवाई न करके इन्हें चिह्नित कर लिया। ऐसे लोगों के टिकट पर संशय है। अगर सियासी समीकरण के तहत टिकट नहीं कटा तो भी इनका कद छोटा किया जाना तय है।

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