उत्तर प्रदेश के व्यापारियों को मुकदमों में बड़ी राहत देने जा रही है। प्रदेशभर के व्यापारियों पर कोविड-19 और लॉकडाउन तोड़ने को लेकर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। कानून मंत्रालय ने अधिकारियों को इसके दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रमुख सचिव से मुकदमों का ब्योरा जुटाने को कहा गया है। मुकदमे कब तक वापस लिए जाएंगे, इसे लेकर अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। सरकार अन्य लोगों को भी इस मामले में राहत देने पर विचार कर रही है।
कोविड-19 प्रोटोकॉल तोड़ने और लॉकडाउन के उल्लंघन के कारण राज्य के हजारों व्यापारियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे। इससे व्यापारी परेशान थे।
गुरुवार को कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अब इन व्यापारियों को कोविड-19 और लॉकडाउन तोड़ने के मामलों में पुलिस और कचहरी की दौड़ नहीं लगानी होगी। प्रदेश सरकार ने व्यापारियों पर दर्ज इन मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है। कहां-कितने व्यापारियों को इससे राहत मिलेगी, इसके आंकड़े जुटाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि करीब एक लाख व्यापारियों पर कोविड उल्लंघन के मुकदमे दर्ज किए गए हैं। दरअसल, उत्तर प्रदेश युवा उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के वरिष्ठ महामंत्री अशोक मोहियानी, कार्यवाहक अध्यक्ष अनिल बजाज और अन्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर मुकदमे वापस लेने की मांग कर चुके हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने गुरुवार को प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। इस पर कार्रवाई करते हुए मंत्री ने प्रमुख सचिव को मुकदमों का जिले से ब्योरा तलब कर वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए। सरकार का मानना है कि कोविड के मुकदमों के कारण व्यापारियों को अनावश्यक परेशानी उठानी पड़ेगी।
ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य
कोविड-19 प्रोटोकॉल और लॉकडाउन उल्लंघन के मुकदमे वापस लेने की घोषणा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। फिलहाल ये आदेश व्यापारियों के लिए जारी किया गया है, लेकिन आमलोगों को भी राहत देने पर विचार-मंथन जारी है। सरकार मुकदमे वापस लेने के साथ ही व्यापारियों को भविष्य में ऐसी स्थितियों में विशेष एहतियात बरतने की चेतावनी भी देगी। इन मुकदमों की वापसी से पुलिस और न्यायालय से भी बोझ कम होगा और उन्हें आवश्यक चीजों की जांच के लिए मौका मिल सकेगा।