कोरोना का नया वैरिएंट पैंक्रियाज पर वार कर रहा है। इसके संक्रमण से पैंक्रियाज का सिस्टम बेपटरी हो जा रहा है। यह संक्रमितों को डायबिटीज का पेशेंट बना रहा है। जिनमें कभी डायबिटीज(मधुमेह) नहीं था, उनमें ब्लड शुगर लेवल बढ़ा मिल रहा है। युवा और बच्चे भी इसके शिकार हो सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि वायरस का नया वैरिएंट ऐस रिसेप्टर (संक्रमण बढ़ाने वाला प्रोटीन) के जरिए सीधे पैंक्रियाज तक पहुंचकर बीटा सेल नष्ट करके इंसुलिन बनने की प्रक्रिया धीमी कर रहा है, इससे डायबिटीज हो रही है।
बीआरडी मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में पोस्ट कोविड ओपीडी का संचालन हो रहा है। इस ओपीडी में कोरोना से उबरने वाले कई तरह की समस्याएं लेकर पहुंच रहे हैं। पोस्ट कोविड ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वालों में 70 फीसदी युवा और अधेड़ हैं। ज्यादातर में ब्लड शुगर बढ़ी मिल रही है। ऐसे 25 फीसद मरीज हैं, जिन्हें कभी डायबिटीज नहीं थी। न ही उनके परिवार में कोई हिस्ट्री थी।
इंसुलिन बनने की प्रक्रिया प्रभावित
फिजीशियन डॉ. गौरव पाण्डेय ने बताया कि कई ऐसे मरीज आए हैं, जिन्हें कभी स्टेरॉयड नहीं दी गई फिर भी शुगर बढ़ा मिला है। इनमें संक्रमण से पैंक्रियाज में ऐस रिसेप्टर बढ़ गए थे। ऐस रिसेप्टर से वायरस बीटा सेल में जाकर चिपक गया। उन्हें क्षतिग्रस्त करने लगा। इंसुलिन कम बनने से ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगा।
स्टेरॉयड का न करें बेजा इस्तेमाल
जिला अस्पताल के फिजीशियन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ग्रामीण अंचल में झोलाछापों ने मरीजों को जल्द ठीक करने के लिए स्टेरॉयड चलाए। घर पर रहने वाले संक्रमितों ने कोरोना से ठीक हुए लोगों से जानकारी लेकर स्वयं इलाज किया। उनके पर्चे की दवाएं मेडिकल स्टोर से मंगवाईं। दवा के दुकानदार भी डॉक्टर बनकर मरीजों का इलाज किया। जो अब डायबिटीज की वजह बन रही हैं।
जानलेवा है डायबिटीज
फिजीशियन डॉ. बीके सुमन ने बताया कि वायरस पैंक्रियाज में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को धीमा कर रहा है। ऐसे में इलाज के लिए मरीजों को इंसुलिन देनी पड़ती है। कई मरीजों को दवा की डोज बढ़ानी पड़ती है। इससे वायरस शरीर के दूसरे अंगों फेफड़े, हार्ट, ब्रेन और खून की नसें भी प्रभावित होती हैं।
तीसरी लहर से है खतरा
फिजीशियन डॉ. संजीव गुप्ता ने बताया कि डायबिटीज से जूझ रहे युवा व अधेड़ों में इम्यूनिटी पहले से कमजोर होती है। कमजोर इम्यूनिटी वालों में संक्रमण तेजी से फैलता है। ऐसे मरीजों में तीसरी लहर में संक्रमित होने का खतरा है। इसलिए तीसरी लहर से बचने के लिए इम्यूनिटी ठीक करना जरूरी है।
इसका रखें ध्यान
कोरोना से उबरने के बाद 4-5 हफ्ते ब्लड शुगर मॉनीटर करें
हार्ट, ब्रेन, फेफड़े और खून की जांचें कराना बहुत ही जरूरी