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7वें सोमवार को अर्द्धनारीश्वर रूप में पूजे गए बाबा विश्वनाथ, 6 लाख श्रद्धालुओं ने टेका मत्था

गलियों में गूंजता रहा बोलबम का जयकारा व हरहर महादेव
बाबा के भक्तों पर मंदिर प्रशासन द्वारा बरसाएं गए फूल

सुरेश गांधी

वाराणसी : सावन के सातवें सोमवारी पर शहर से लेकर देहात तक के शिवालयों में भक्तों का तांता लगा रहा। गलियां हो या मेन रोड सब शिवमय हो गएं। काशी विश्वनाथ मंदिर में देर रात छह लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया। सायंकाल बाबा विश्वनाथ का अर्धनारिश्वर रुप में विशेष श्रृंगार किया गया। बाबा का आशीर्वाद पाने के लिए रात से ही कांवड़यों और श्रद्धालुओं की लाइनें लग गयी थी। पूरा मंदिर परिसर भगवा रंग से पटा पड़ा था। चारों और बोल बम व हर हर महादेव के जयकारे लगते रहे। पूरा माहौल भक्तिमय हो गया। दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान करने के लिए भीड़ रही। इस बार कांवरिये काफी आए हैं। रात तक मंदिर के सभी गेटों की तरफ लाइन लग गई। मंदिर का रात में शयन आरती तक दो लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किया। मंदिर में सजावट की गई। मंगला आरती से बाबा का दर्शन शुरू हुआ। बाबा का अर्द्धनारिश्वर स्वरूप में शृंगार हुआ। इसके साथ ही कैथी स्थित मार्केंडेय महादेव, महामृत्युंजय, तिलभांडेश्वर, जागेश्वर, त्रिलोचन महादेव, केदारेश्वर महोदव सहित तमाम शिवालयों में दर्शन पूजन हो रहा है।

कांवड़िएं जल अर्पण के लिए रविवार की देर रात से ही रूटलाइन में कतार में लग गए थे। बाबा विश्वनाथ धाम आने वाले कांवरिया जल अर्पण के बाद कावरयात्रा की यादों को अपने साथ समेट कर ले जाने का मौका छोड़ना नहीं चाहते। इस कारण बाबा मंदिर परिसर के बाहर कांवरियों को सेल्फी लेते देखा जा रहा है। ग्रामीण अंचलों में स्थित विभिन्न शिवालयों में शिव भक्तों का रेला उमड़ पड़ा। मंगला आरती के बाद भोर से शुरू हुआ दर्शन पूजन व जलाभिषेक का सिलसिला दिनभर जारी रहा। गंगा घाटों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही। स्नान ध्यान के बाद पुरुष महिलाओं और बच्चों ने विभिन्न शिव मंदिरों में पहुंचकर बेलपत्र, भांग धतूर मदार पुष्प चढ़ाकर दूध व गंगाजल से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया।

मंदिर प्रशासन द्वारा बताया गया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन करने के लिए आने वाले दिव्यांग और बुजुर्गों का खास ध्यान रखा जा रहा है। दिव्यांग और बुजुर्ग भक्तों को गेट नंबर 4 से प्रवेश कराया जा रहा है तथा जो भक्त चल पाने में सक्षम नहीं है उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाकर बाबा दरबार में पहुंचाया जा रहा है। गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण ललिता घाट से प्रवेश बंद रहा। भीड़ का आलम यह था कि एक कतार बांसफाटक गोदौलिया होते हुए दशाश्वमेध घाट तो दूसरी गिरजाघार चौराहा होते हुए लक्सा की ओर वहीं गेट नंबर चार से मैदागिन की ओर आने वाले रास्ते पर कतार चौक से आगे पहुंच चुकी थी। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि सावन के सातवें सोमवार को कपाट बंद होने तक 6 लाख 50 हजार लोगों ने बाबा के दर्शन किये हैं।