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मोदी जी अच्छे दिन अब नही तो कब ? सरकार मालामाल जनता कंगाल

अशोक कुमार गुप्ता ,लखनऊ : केंद्र की सरकार सबका साथ सबका विकास की बात करती है लेकिन टेक्स का बोझ आम आदमी पर दिन प्रतिदिन लादकर सरकार के अच्छे दिन तो ला दी लेकिन जनता के जेब पर चौतरफा टैक्स का भार लाड रही है .आम आदमी केवल इनकम टैक्स देने में कोताही बरतता है लेकिन और सभी टैक्स तो अप्रत्यक्ष रूप से सरकार लेती है जो बहुत बड़ा हिस्सा आम आदमी देता है . उसके बदले लोगो को मिलता क्या है ? चलिए हम बात क्र लेते है देश की अर्थव्यवस्था को सबसे अधिक ताकत देने वाली इधन की जिसपर सरकार जबरजस्त टैक्स ले रही है जो आम जनता से ही वसूला जाता है .

पढ़िए यह रिपोर्ट सवाल यह है कि जब हमने अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 122 डालर प्रति बैरल था तो दिल्ली में पेट्रोल 76 रुपया बिक रहा था उस समय काग्रेस की सरकार थी और आयात शुल्क (एक्साइज ड्यूटी ) महज 6 रुपया लेती थी .आज अन्तराष्ट्रीय मार्केट में कच्चा तेल 56 डालर प्रति बैरल है लेकिन आम आदमी को पेट्रोल और डीजल 40 रुपया प्रति लिटर मिलना चाहिए था . डीजल सस्ता होने से हर आवश्यक वस्तु की कीमत बहुत कम दर पर मिलता लेकिन केंद्र में बैठी modi सरकार को लोगो को अच्छे दिन आना नही पसंद है .

 

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा

आम आदमी को फायदा न पहुंचे, इसलिए बढ़ा एक्साइज और वैट

बाजार के हवाले हुई कीमतों पर सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है. और सस्ते कच्चे तेल के चलते कंपनियां ग्राहकों को सस्ता पेट्रोल और डीजल न उपलब्ध करा सकें इसके लिए उसने इन दो साल के दौरान अपनी एक्साइज ड्यूटी में बड़ा इजाफा कर दिया. जहां अक्टूबर 2014 में सरकार प्रति लीटर पेट्रोल पर लगभग 9 रुपये की एक्साइज ड्यूटी वसूलती थी वहीं उसने जनवरी 2016 तक पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को बढ़ाकर 20 रुपये प्रति लीटर तक कर दिया. इसी दौरान डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3 रुपये प्रति लीटर से बढ़ा कर 16 रुपये प्रति लीटर कर दी गई.

इतना ही नहीं, पेट्रोल और डीजल के अच्छे दिनों को आम आदमी तक पहुंचने से रोकने में राज्य की सरकारों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. अंतरराष्ट्रीय बाजार में छाई गिरावट के बीच सब केन्द्र सरकार अपना खजाना भर रही थी तो राज्य सरकारों ने भी ईंधन पर वैट की दर को बढ़ाकर अपना-अपना खजाना भी भरने का पूरा इंतजाम कर लिया.

लिहाजा, एक बात साफ है कि बीते दो साल से अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट उन देशों के लिए बड़ी सौगात लेकर आई जो बड़ी मात्रा में ईंधन की खरीद करते हैं. इस दौरान चीन में आर्थिक मंदी छाई रही लिहाजा बाजार में खपत नहीं थी. इसके बावजूद वहां सरकार ने इस गिरावट के दौरान अपने देश में बड़े-बड़े स्टोरेज टैंकरों का निर्माण कर लगातार सस्ते दरों पर कच्चा तेल को खरीदा है जिससे मंदी के बादल छंटने के बाद वह इसका इस्तेमाल कर सके. लेकिन अफसोस भारत में चाहे केन्द्र सरकार हो या फिर राज्य सरकारें, उन्हें अपना खजाना भरने का यह सबसे सटीक मौका लगा. अब वह चाहे कुछ भी दलील दे कि बचत के पैसों से वह अस्पताल, स्कूल, पुल और सड़क बनवा देगी, एक बात तय है कि सरकार का खजाने बढ़ने से आम आदमी के अच्छे दिनों को ग्रहण लग गया. बहरहाल, अब कच्चे तेल की कीमतें एक बार फिर बढ़ना शुरू हो चुकी है.