अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि इस हमले का मकसद अफगानिस्तान से आईएस को परास्त करना है। अमेरिकी बल इस बात का पूरा ध्यान रख रहा है कि इस हमले में नागरिक कम से कम हताहत हों। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो सका है कि इस हमले से कितना नुकसान पहुंचा है। वर्ष 2003 में जब इस बम का परीक्षण किया गया था तब 32 किलोमीटर दूर से छोटे-छोटे बादलों के गुबार देखने को मिले थे।
कितना खतरनाक है ये सबसे बड़ा बम
– यह बम जीपीएस से गाइडेड है
– पहली बार इसका परीक्षण इराक युद्ध से ठीक पहले 2003 में किया गया था
– प्रत्येक बम की लागत लगभग 1.60 करोड़ डॉलर पड़ती है
– बम का आकार 30 फुट (9 मीटर) लंबा तथा 40 इंच (एक मीटर) चौड़ा होता है
कैसे काम करता है बम
– बम में जालीदार पंख लगे होते हैं जो गिराते समय हवा में ही खुल जाते हैं और फिर यह व्यापक विनाश करता है
– बड़े आकार का होने के कारण इसे सिर्फ बड़े कार्गो विमान के पिछले हिस्से में ही ढोकर ले जाया जा सकता है
– बम एक पैलेट में लिपटा होता है, हमला करते समय इस पैलेट को पैराशूट के जरिये विमान से गिराया जाता है
– इसके बाद यह पैलेट अलग होकर बम को लक्ष्य भेदने में सक्षम बना देता है
– यह बम जमीन से छह फुट ऊपर ही फट जाता है