आज से ठीक 71 साल पहले सोवियत संघ में AK-47(एके-47) को सोवियत सेना में शामिल किया गया था। इससे पहले 1945 में इसका निर्माण शुरू हुआ था, 1946 में इसे सैन्य परीक्षणों के लिए प्रस्तुत किया गया और 1948 में इसे सेना में शामिल किया गया। इसे Kalashnikov and AK के नाम से भी जाना जाता है)। क्लाशिनिकोव एक गैस-संचालित मिमी असॉल्ट राइफल विकसित की गई है। चूंकि इसका डिजाइन बनाने वाले का नाम मिखाइल कलाश्निकोव था, इस वजह से इसका नाम एके 47 रखा गया। यह कलाश्निकोव राइफल या एके एक मिनट में लगभग 100 गोलियां फायर करने वाली बंदूक है। AK-47 पर डिजाइन का काम 1945 में शुरू हुआ था। 1946 में, AK-47 को आधिकारिक सैन्य परीक्षणों के लिए प्रस्तुत किया गया था और 1948 में, फिक्स्ड-स्टॉक संस्करण को सोवियत सेना की चयनित इकाइयों की सेवा में पेश किया गया था। डिजाइन का एक प्रारंभिक विकास AKS (S-Skladnoy या “फोल्डिंग”) था। ये एक अंडरफॉलिंग मेटल शोल्डर स्टॉक से लैस था। 1949 की शुरुआत में, एके -47 को आधिकारिक रूप से सोवियत सशस्त्र बलों द्वारा स्वीकार किया गया था और वारसॉ संधि के सदस्य देशों के बहुमत द्वारा उपयोग किया गया था। सात दशकों के बाद भी, मॉडल और इसके वेरिएंट दुनिया में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली असॉल्ट राइफलें हैं क्योंकि कठोर परिस्थितियों में इसकी विश्वसनीयता, समकालीन पश्चिमी हथियारों की तुलना में कम उत्पादन लागत, लगभग हर भौगोलिक क्षेत्र में उपलब्धता और उपयोग में आसानी है। AK-47 कई देशों में निर्मित किया गया है और सशस्त्र बलों के साथ-साथ दुनिया भर में अनियमित बलों और विद्रोहियों के साथ सेवा को देखा है। जानकारी के अनुसार इस समय दुनिया भर में अनुमानित 500 मिलियन आग्नेयास्त्र है जिसमें लगभग 100 मिलियन कलाश्निकोव के हैं जिनमें से तीन-चौथाई AK-47 हैं। किफायती और सरल उपयोग के लिए अक्सर राइफल एके-47 का वैरिएंट ही रहा। इस राइफल से आसानी से सैकड़ों की जान ली जा सकती है और आधुनिक सैनिकों और पुलिस बलों से टक्कर ले सकते हैं। हाल के वर्षों में अमेरिकी मिलिट्री के क्ल’श्निकोव के जवाब में वे AR-15 का उपयोग भी करने लगे। AR-15 के सेमी ऑटोमैटिक वर्जन का उपयोग कैलिफोर्निया के सैन बनार्डिनो में इस्लामी राज्य के समर्थकों द्वारा किया गया है। आतंकियों के हाथ में मिलिटरी स्टाइल के राइफल्स का उपयोग बड़े स्तर पर लोगों को मारने के लिए बार बार किया जा रहा है। अभी क्लाश्निकोव और AR-15 के वैरिएंट्स को सामान्य रूप से देखा जा सकता है, हर युद्ध में इन हथियारों का उपयोग होता है। यूरोप में इस्लामिक स्टेट ने काफी अधिक लोगों को बम की जगह बुलेट से मारा है।
अमेठी में भी बन रही एके-47
संसदीय क्षेत्र अमेठी अब जल्द ही सेना के जवानों के लिए मेक इन इंडिया के तहत एके-47 असॉल्ट रायफल का निर्माण कर रहा है। राहुल की संसदीय क्षेत्र में मोदी सरकार ने AK-47 की फैक्ट्री लगाने का दांव खेला। बता दें कि कलाश्निकोव राइफल AK-47 का लेटेस्ट वर्जन है। ये फैक्ट्री रूस की एक कंपनी और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड साथ मिलकर बनाएगी, जिसमें 7.47 लाख कलाश्निकोव राइफल बनाई जाएगी। AK-47 वह हथियार है, जिससे पानी के अंदर से हमला करने पर भी गोली सीधे जाती है। गोलियों की गति इतनी तेज होती है कि पानी का घर्षण भी उसे कम नहीं कर पाता है। यह बेहद सिपंल राइफल है और बहुत आसानी से इसका निर्माण किया जा सकता है। इसलिए दुनिया में यह एक मात्र ऐसी राइफल है जिसकी सबसे ज्यादा कॉपी की गई है। यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है। इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है। अगर विस्तार से देखें तो इसके लोकिंग डिजाइन को एम1 ग्रांड राइफल से लिया गया है। इसका ट्रिगर और सेफ्टी लॉक रेमिंगटन राइफल मॉडल 8 से लिया गया है जबकि गैस सिस्टम और बाहरी डिजाइन एस.टी.जी.44 से लिया गया है