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ऐसे तोड़ा गया अखण्ड हिंदुस्तान को,फिर कोरोना से नही जेहादियों से डर है, देश को,,,,,

अखंड भारत बनने की कहानी । akhand bharat
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा :इस बात से इतराने का नही ईरान से म्यामार तक की हस्ती मिट गई

अशोक कुमार गुप्ता। मैं आज आपको एक साफ्ट देश हिन्दुस्तान की बिगड़ती कानून व्यवस्था के बारे में बता रहा हूँ।किसी भी देश का नागरिक टूरिष्ट वीजा लेकर आए ,धर्म प्रचार करे, भोली-भाली जनता को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराए। किसी विशेष हिस्से में आबादी बढाए, फिर अलग सुविधाए और विशेष राज्य का दर्जा मांग करने लगे । दुनिया में एक देश हिन्दू आबादी वाला है हिन्दुस्तान है।
आइए आपका स्वागत है,हिन्दुस्तान में अपने धर्म का मुख्यालय बनाने के लिए बिना सरकारी शुल्क के जमीन रजिस्ट्री कराए और बना ले धर्म का अण्डा।

मुझे आज इस विषय पर  इसलिए लिखना पड़ रहा है,कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन देश की जनता से हाथ जोड़कर  माँगा,कहता है कि महामारी की इस घड़ी में देश को बचाने के लिए मेरे पास क्या? दुनिया के पास कोई उपाय नही है ।  वो लोगो को अपने घर में रहकर कोरोना वायरस से लड़ने में देश का साथ दे,पीएम ने दो बार सम्बोधन में एक बात जो मुख्य रूप से उठाई वह था। सभी लोग सामाजिक दूरी बनाए ब्क्यकि कोविद19 के विषाणु  एक से लाख तक पहुचने की जिक्र है।उसके बावजूद संसद भवन से कुछ दूरी पर स्थित निजामुद्दीन  थाने के बगल में  दो हजार से ज्यादा तबगीली जमात के लोग जुटे थे।क्या उनके कानों तक पीएम की आवाज गई नही थी।

इनको देश के सविधान से बड़ा धर्म को मानने वाले लोग है। भारत सरकार ऐसी कोई भी संस्था हो चाहे हिन्दू या मुस्लिम  धर्म से सम्बन्ध हो ऐसी धार्मिक संस्थाओं पर पाबंदी लगाई नही गई तो देश को ऐसी संस्थाए गृह युद्ध में ढकेल देंगी।

इस देश के लिए कोरोना ने दो वायरस को जन्म दिया।
जो दो वायरस थे उसमे सबसे खतरनाक वायरस सविधान से  धर्म को मानने वाले जेहादी थे। जिनके दिलो-दिमाग में मोहम्मद साद की भड़काऊ मिलदे भर गई थी।
सबसे खतरनाक विषय निकलकर सामने आई कि लोग टूरिष्ट वीजा लेकर देश में मुस्लिम धर्म की प्रचार करते हुए पूरे देश की कोने -कोने में गए। देश की बर्बादी की बुनियाद रख रहे थे।
लेकिन  हमारे हिन्दू भाई यह गुमान में चूर है कि कोई बात है ऐसी कि हस्ती मिटा नही हमारी।
मैं इस देश हर एक नागरिक से पूछना चाहता हूँ कि 25 सौ साल में मेरी हस्ती देेश 15 टुकड़ो में अलग-अलग खंडित हो गई ।
आज देश सविधान से चल रहा है कि धर्म के अनुयायियों के फतवे से  नही ।

कोरोना वायरस नवरात्र के बाद मां दुर्गा की शक्ति ,देश की डॉक्टरों,जवानों और हमारी धैर्य शक्ति से  खत्म हो जाएगी।लेकिन उसके बाद एक बड़ी बहस ही इस देश को बचा पाएगा। जेहादी नाम के वायरस जो दिन दूना रात चौगुना मां भारती को बांटने के लिए ताकत झोंके है। उन ताकतों को सख्त कानून के द्वारा ही काबू में किया जा सकता है।

1947 में बना पाकिस्तान भारतवर्ष का पिछले 2500 सालों में एक तरह आज तक किसी भी इतिहास की पुस्तक में इस बात का उल्लेख नहीं मिलता की पिछले 2500 सालों में हिंदुस्तान पर जो अटैक हुए उनमें किसी भी आक्रमणकारी ने अफगानिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, भूटान, पाकिस्तान, मालद्वीप या बांग्लादेश पर आक्रमण किया हो। पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास सभी जानते हैं। पर बाकी देशों के इतिहास की चर्चा नहीं होती। हकीकत में अंखड भारत की सीमाएं विश्व के बहुत बड़े भू-भाग तक फैली हुई थीं। (स्रोत- इंटरनेट रिसर्च, इतिहास और कुछ लेखों पर आधारित।सभी नक्शों का इस्तेमाल स्टोरी प्रेजेंटेशन के लिए किया गया है।) आगे की स्लाइड्स में पढ़ें- ऐसी ही और जानक

अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर भारत के इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती। कहना चाहिए की वह 7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। अफगान पहले एक हिन्दू राष्ट्र था। बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है।  26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण स्थान अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था।

17 वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। अफगानिस्तान नाम का विशेष-प्रचलन अहमद शाह दुर्रानी के शासन-काल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था जिसमें गांधार, कम्बोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे।

1 ईरान-

जब भारत से आर्यन ईरान में बलुचिस्थान में पहुंचे तब वहां बस गए, उसी से इसका इरयाना नाम पड़ा । उसके बाद अरबो ने यहां आक्रमण किया और यहीं बसेरा कर लिया । तब इसका नाम ईरान पड़ा।

2 कम्बोडिया-

प्रथम शताब्दी में कम्बोडिया नामक भारतीय ब्राह्मण ने इस देश में हिन्दू राज की स्थापना की। इसी से इसका नाम कम्बोडिया पड़ा। आगे जाकर ये स्वतंत्र देश बना।

3 वियतनाम-

इस देश का नाम पहले चम्पा था। ये भारत का एक अंग था। 1825 में चम्पा हिन्दुराज समाप्त हो गया जिसकी वजह से ये एक अलग देश बनने को मजबूर हो गया।

4 मलेशिया-

यहां बौध धर्म को भारतीयों ने स्थापित किया । ये देश भारतीय संस्कृति लिए मशहूर था। 1948 में अंग्रेजों से आजाद होकर ये भारत से अलग हो गया।

5 इंडोनेशिया-

एक वक्त में ये भारत का संपन्न देश हुआ करता था। लेकिन यहां हिन्दु कम रहते थे। फिर ये एक अलग मुस्लिम देश बना। परंतु यहां आज भी एक राम मंदिर है। जहां मुस्लिम पूजा करते है।

6 फिलिपंस-

मुसलमानों ने आक्रमण कर यहां कई सालों तक राज किया। उन्होंने अपना राजकाज यहां अच्छे से जमा लिया और अलग हो गया। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की यहां आज भी भारतीय रिति रिवाज मनाए जाते है।

7 अफगानिस्तान-

ये कभी भारत का ही अंग हुआ करता था। यहां हिंदु अम्बी का राज था। जिसने सिकंदर से संधि कर उसे ये राज्य सौंप दिया था। महाभारत के शकुनि और गांधारी यहां के ही थे। इस्लाम के बाद ये भारत के सांस्कृतिक रुप से भी अलग देश बन गया।

8 नेपाल-

ये भी भारत का एक अंग था। इसका एकाकीकरण एक गोरखे ने किया। महात्मा बुद्ध भी इसी राजवंश के ही थे। लेकिन धीरे-धीरे ये भी भारत से अलग हो गया।

9 भूटान-

ये पहले भारत के भद्रदेश में से एक के लिए जाना जाता था। हमारे ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है। लेकिन इसने 1949 में खुद को संपन्न औऱ अलग देश घोषित करा लिया। हमारे ग्रंथों में त्रिविशिस्ट के नाम से ये जाना जाता था। भारतीय शासको को हराकर चीन ने इसे अपने में मिला लिया।

10 श्रीलंका-

पहले इसका नाम ताम्रपानी था। सबसे पहले पुर्तगाली, फिर अंग्रेजो ने यहां अपना अधिकार साबित किया। 1937 में अंग्रेजो ने इसे भारत से अलग करा लिया।

11 म्यांमार-

इसका पहले नाम बर्मा था। यहां का प्रथम राजा वाराणसी का राजकुमार था। 1852 में अंग्रेजो ने यहां अधिकार किया। 1937 में इसे भारत से अलग कर दिया गया।

12 पाकिस्तान-

यहां आजादी के बाद बहुत से हिन्दु मंदिर तोड़ दिए गए थे, ये बात सभी जानते है। हिन्दुओं के लगातार विरोध करने की वजह से इसे भारत से अलग कर दिया गया।

13 बांग्लादेश-

ये देश भी 15 अगस्त से पहले भारत का ही अंग था। फिर पूर्वी पाकिस्तान का अंग बना। 1971 में भारतीय फौज ने इसे पाकिस्तान से अलग कराया।

14 थाईलैंड-

इसका प्राचीन भारतीय नाम श्यामदेश था। पहले यहां हिन्दू राजस्व था। बाद में यहां बौध्यप्रचार हुआ औऱ ये भी भारत से अलग हो गया।

15 तिब्बत-

हमारे ग्रंथो में त्रिविशिस्ट ने नाम से इसका नाम मिलता है। भारतीय शासको ने हरा कर चीन ने इसे अपने में मिला लिया था। फिर ये चीन से भी अलग हो गया।

प्राय: पाकिस्तान व बांग्लादेश निर्माण का इतिहास तो सभी जानते हैं। शेष इतिहास मिलता तो है परन्तु चर्चित नहीं है। सन 1947 में विशाल भारतवर्ष का पिछले 2500 वर्षों में 24वां विभाजन है।

सम्पूर्ण पृथ्वी का जब जल और थल इन दो तत्वों में वर्गीकरण करते हैं, तब सात द्वीप एवं सात महासमुद्र माने जाते हैं। हम इसमें से प्राचीन नाम जम्बूद्वीप जिसे आज एशिया द्वीप कहते हैं तथा इन्दू सरोवरम् जिसे आज हिन्दू महासागर कहते हैं, के निवासी हैं। इस जम्बूद्वीप (एशिया) के लगभग मध्य में हिमालय पर्वत स्थित है। हिमालय पर्वत में विश्व की सर्वाधिक ऊँची चोटी सागरमाथा, गौरीशंकर हैं, जिसे 1835 में अंग्रेज शासकों ने एवरेस्ट नाम देकर इसकी प्राचीनता व पहचान को बदलने का कूटनीतिक षड्यंत्र रचा। हम पृथ्वी पर जिस भू-भाग अर्थात् राष्ट्र के निवासी हैं उस भू-भाग का वर्णन अग्नि, वायु एवं विष्णु पुराण में लगभग समानार्थी श्लोक के रूप में है :-

उत्तरं यत् समुद्रस्य, हिमाद्रश्चैव दक्षिणम्।

वर्ष तद् भारतं नाम, भारती यत्र संतति।।

अर्थात् हिन्द महासागर के उत्तर में तथा हिमालय पर्वत के दक्षिण में जो भू-भाग है उसे भारत कहते हैं और वहां के समाज को भारती या भारतीय के नाम से पहचानते हैं।

वर्तमान में भारत के निवासियों का पिछले सैकडों हजारों वर्षों से हिन्दू नाम भी प्रचलित है और हिन्दुओं के देश को हिन्दुस्तान कहते हैं। विश्व के अनेक देश इसे हिन्द व नागरिक को हिन्दी व हिन्दुस्तानी भी कहते हैं। बृहस्पति आगम में इसके लिए निम्न श्लोक उपलब्ध है :-

हिमालयं समारम्भ्य यावद् इन्दु सरोवरम।

तं देव निर्मित देशं, हिन्दुस्थानं प्रचक्षते।।

अर्थात् हिमालय से लेकर इन्दु (हिन्द) महासागर तक देव पुरुषों द्वारा निर्मित इस भूगोल को हिन्दुस्तान कहते हैं। इन सब बातों से यह निश्चित हो जाता है कि भारतवर्ष और हिन्दुस्तान एक ही देश के नाम हैं तथा भारतीय और हिन्दू एक ही समाज के नाम हैं।

भारत में धर्म

भारत एक विविध धर्मों वाला देश है जिसकी विशेषता उसकी विभिन्न धार्मिक प्रथाएं और विश्वास है। भारत की इस आध्यात्मिक भूमि ने कई धर्मों को जन्म दिया है, जैसे हिंदू धर्म, सिख धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म। यह धर्म मिलकर उपसमूह बनाते हैं जिन्हें पूर्वी धर्मों के रुप में जाना जाता है। भारत के लोगों को धर्मों पर बहुत ज्यादा विश्वास है और वो मानते हैं कि यह उनके जीवन को एक अर्थ और उद्देश्य देते हैं।