रंगों के त्योहार होली पर्व से एक दिन पूर्व पड़ने वाला होलिका दहन इस बार रविवार को ही होगा। खरवार के कारण प्राय: रविवार या मंगलवार को सम्मत जलाना शुभ नहीं माना जाता लेकिन इस बार वृद्धि योग व पूर्णिमा तिथि के कारण रविवार को शाम 6:05 बजे से रात 12:40 बजे तक होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त है।
वृद्धि योग के कारण सूयोस्त के बाद होलिका दहने के लिए शुभ मुहूर्त है। इस बार ‘मित्र’ नामक औदायिक योग भी बन रहा है। पंचांग के अनुसार 28 मार्च को पूर्णिमा तिथि रात 12 बजकर 40 मिनट तक है। सूर्यास्त के समय शाम 6 बजकर 5 मिनट से लेकर रात 12 बजकर 40 मिनट तक पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन के लिए मुहूर्त है। इस दौरान कभी भी होलिका दहन किया जा सकता है। पं. त्रियुगी नारायण शास्त्री ने बताया कि रविवार या मंगलवार को खरवार माना जाता है। इसलिए इस दिन सम्मत जलाना शुभ नहीं माना जाता। इस बार वृद्धि योग और पूर्णिमा तिथि के कारण रविवार को सम्मत जलाने के लिए मुहूर्त है।
बेल का फल या नया अन्न होलिका में जरूर डालें
ज्योतिषाचार्य पं. जितेन्द्र पाठक ने बताया कि होलिका दहन में इस बार वृद्धि योग है। इसलिए होलिका दहन में बेल का फल, गेहूं की बाली या नया अन्न जरूर होलिका में डालें। इससे धन में वृद्धि और आरोग्यता प्राप्त होगी। दहन के समय ‘होलिकायै नम:’ मंत्र से पूजन करें। होली के दिन आम्रमंजरी का सेवन शुभकारी माना जाता है। इसलिए होली के दिन अपने इष्टदेव के पूजन के बाद आम्रमंजरी (आम का मोजर) का सेवन जरूर करें।
सैकड़ों जगह पर लगे सम्मत
होलिका दहन के लिए वसंत पंचमी के दिन ही विधि-विधान से पूजन के बाद पहले से निर्धारित स्थान पर सम्मत के रूप में बांस लगा दिया जाता है। जिन जगहों पर वसंत पंचमी के दिन सम्मत नहीं लग पाता, वहां महाशिवरात्रि के दिन भी सम्मत लगाने की परंपरा है। बहुत से जगहों पर होली के चार दिन पहले पड़ने वाले रंगभरी एकादशी के दिन भी सम्मत लगाया जाता है। महानगर में सैकड़ों स्थानों पर होलिका दहन के लिए सम्मत लगाए गए हैं।