वासंतिक नवरात्र यानि की चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 13 अप्रैल से होगा। इसी तिथि से नवसंवत्सर 2078 का भी श्रीगणेश हो जाएगा। वहीं 21 अप्रैल को रामनवमी का पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस अवसर पर वैष्णव नगरी अयोध्या में परम्परागत रामनवमी का मेला होता है। इस मेला में देश-देशांतर के लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। नौ नवम्बर 2019 को रामजन्मभूमि विवाद का पटाक्षेप सुप्रीम कोर्ट से हो जाने के बाद कोर्ट के निर्देश पर केंद्र सरकार ने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का गठन कर राम मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहीत 70 एकड़ भूमि भी ट्रस्ट को सौंप दी थी। तभी से रामभक्त यहां आने को लालायित है। इसके चलते रामनवमी 2020 से रिकार्ड भीड़ का अनुमान लगाया जा रहा है।
पिछले साल कोविड-19 की महामारी ने पूरे देश को लॉकडाउन में जकड़ दिया था। तो यह अनुमान लगाया गया कि रामनवमी 2021 में भीड़ का रिकार्ड अवश्य टूटेगा लेकिन इस साल भी कमोबेश पिछले साल के ही हालत बनते दिखाई दे रहे है। ऐसे में तय माना जा रहा है कि इस बार भी रामनवमी आते-आते कोरोना का साया घना हो जाएगा। जिला प्रशासन भी अब इस बात के संकेत देने लगा है। एक तरफ तो भारी भीड़ के ख्याल से मुख्य मार्ग से लेकर सम्पर्क मार्गों को चौड़ीकरण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कागजी कसरत होती रही। अब जब मेला सिर पर आ चुका है तो भी प्रशासनिक उदासीनता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है।
उधर व्यापारियों और भवन स्वामियों की नींद हराम है। वह चाह कर भी भवन अथवा अपने प्रतिष्ठान का नवीनीकरण/दुरुस्तीकरण नहीं करा पा रहे हैं और न ही मेला की विधिवत तैयारी कर पा रहे हैं। हर तरफ और हर जुबान पर सिर्फ और सिर्फ यही सवाल है कि कितना टूटेगा। कब टूटेगा। कितना मुआवजा मिलेगा। किसे मिलेगा। किराएदार कहांं जाएंगे। उनकी क्या व्यवस्था होगी। अलग-अलग व्यापारी नेता अलग-अलग एजेंडा लेकर घूम रहे है। सबसे बुरी हालत सत्ता पक्ष के समर्थकों की है। जनप्रतिनिधियों ने लगभग हाथ ही खड़ा कर दिया है और कार्यकर्ता कुढ़ रहे है और लोगों की खरीखोटी भी सुन रहे हैं। इतना सब होते हुए भी किसी सवाल का जवाब देने के लिए कोई सक्षम अधिकारी नहीं है।
विस्थापन से पहले पुनर्वासन का नहीं हुआ कोई इंतजाम
अयोध्या-फैजाबाद मुख्य मार्ग को सहादतगंज से लेकर नयाघाट तक फोरलेन बनाने का प्रस्ताव न केवल स्वीकृत हो गया है बल्कि बजट का प्रावधान भी प्रदेश सरकार ने कर दिया है। फिर भी अभी तक 24 मीटर चौड़े प्रस्तावित फोरलेन का डीपीआर नहीं बना। यह डीपीआर बनाने का जिम्मा ग्लोबल कंसल्टेंट एजेंसी ली एसोसिएट साउथ एशिया प्रा. लि. को दिया गया है। दूसरी बात यह भी है कि नगर निगम की ओर से कौशलेश कुंज योजना में नब्बे दुकानों के निर्माण का प्रस्ताव किया गया। इसके अलावा टेढ़ीबाजार में चार सौ दुकानों का प्रस्ताव किया गया। यही नहीं विकास प्राधिकरण की ओर से टेढ़ीबाजार क्षेत्र को वाणिज्यिक क्षेत्र घोषित करने के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर आपत्तियां भी मंगा ली गयी। फिर भी अभी तक एक दुकान नहीं बनी।