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गोरखपुर : जिंदा रहते बेड न मिला, मरने के बाद एंबुलेंस भी नहीं आई

गोरखपुर के गोला थाना क्षेत्र के रामनगर में किराए के मकान में रह रहे कोरोना संक्रमित पीडब्ल्यूडी के ड्राइवर व्यासमुनि पांडेय को तो पहले सीएमओ से निवेदन करने के बाद भी किसी अस्पताल में भर्ती होने के लिए बेड नहीं मिला। इलाज के अभाव में घर में ही मौत के बाद शव ले जाने के लिए एम्बुलेंस भी नहीं आई। पड़ोसियों ने भी दरवाजे बंद कर लिए। गुरुवार को दिन में 2.30 बजे उनकी मौत हुई और शव देर रात तक दरवाजे पर पड़ा था। देवरिया से आई उनकी पत्नी और पुत्र की रो-रो कर हाल बेहाल था। 

देवरिया जनपद के बराव निवासी 55 वर्षीय व्यासमुनि पांडेय पीडब्ल्यूडी में ड्राइवर थे। वह बांसगांव तहसील के रामनगर चौराहे पर किराये का मकान लेकर अकेले रहते थे। रामनगर से ही गोरखपुर आते जाते थे। बुधवार को उनकी तबीयत खराब हुई तो सीएचसी बांसगांव गए। वहां एंटीजन जांच में वह कोरोना पॉजीटिव निकले । सीएचसी से मिली दवा लेकर वह कमरे पर आ गए। शाम को परिवार को फोन किया तो बेटा राम अशीष, मां को लेकर रामनगर आ गया। बेटे ने सुबह पिता की तबीयत ज्यादा बिगड़ती देख अस्पताल में भर्ती कराने के लिए पहले 108 नम्बर पर फोन किया लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। कोरोना पॉजीटिव जान कोई प्राइवेट वाहन उसके पिता को बीआरडी कालेज लेकर जाने को तैयार नहीं हुआ। इसके बाद उसने डीएम के विजयेंद्र पांडियन को कॉल की तो उन्होंने सीएमओ का फोन नंबर देकर उनसे बात करने के लिए कहा। बेटे का आरोप है कि सीएमओ ने कहा कि बेड खाली नहीं है। यह सब करते दोपहर हो गई। आखिर कार दिन में 2:30 बजे व्यास मुनि के प्राण पखेरू उड़ गए। 

शव ले जाने के लिए भी नहीं मिला शव

फिर शव को ले जाने के 108  नम्बर पर फोन किया तो उधर से कहा गया कि कोरोना पॉजीटिव का शव ले जाने के लिए यह सेवा नहीं है। दोबारा फोन करने पर कहा गया कि पहले सीएमओ से लेटर लिखवाइए। सीएचसी बांसगांव को सूचना दी तो वहां से कहा गया कि पीपीई किट लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी जा रहे हैं। लेकिन देर रात तक वहां पीपीई किट लेकर स्वस्थ्य कर्मचारी नहीं पहुंचे। यह हालत तब है जब ज्वाइंट मजिस्ट्रेट सदर कुलदीप मीणा और एसडीएम बांसगांव ने भी इसके लिए कहा। इस मामले में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानने का प्रयास किया गया लेकिन अफसरों ने फोन नहीं उठाया। संबंधित विभाग का पक्ष मिलने पर उसे प्रकाशित किया जाएगा।