उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद के नामचीन अस्पतालों में तैनात कर्मचारी मरीजों की जान बचाने की जगह उनकी जान जोखिम में डाल रहे थे। इंजेक्शनों की कालाबाजारी करने के लिए वह मरीजों को इंजेक्शनों की पूरी डोज न देकर पानी चढ़ा रहे थे। मृत मरीजों को लगने से शेष बचे इंजेक्शन भी चोरी कर महंगे दामों में बेच रहे थे। पुलिस पूछताछ में चारों ने चौंकाने वाला खुलासा किया। वहीं, सभी आरोपी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। सूचना मिलते ही पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए। कुछ ने खुदको होम आईसोलेट कर लिया, जबकि कुछ पुलिस वालों ने बेहद जरूरत के अनुसार ही बाहर जाने का फैसला किया है।
पुलिस की पुछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर आते ही इंजेक्शनों को चोरी कर कालाबाजारी करना शुरू कर दिया था। 22 दिन के भीतर वे 34 इंजेक्शनों की कालाबाजारी कर चुके थे। हाल ही में कांठ रोड स्थित अस्पताल में दम तोड़ने वाले एक अधिवक्ता के भी दो इंजेक्शन चोरी कर उसे 75 हजार रुपए में बेच दिए थे।
पुलिस पूछताछ में चारों ने यह भी खुलासा किया सोशल मीडिया ग्रुपों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन तलाश रहे लोगों के मोबाइल नंबर जुटा लेते थे। इसके बाद उनसे इंटरनेट कालिंग कर संपर्क करते थे। बात बनने पर इंजेक्शन की आपूर्ति गिरोह में शामिल लोगों द्वारा करवा दिया जाता था। पूछताछ में यह भी खुलासा किया लखनऊ के आलम बाग, मेरठ के मेडिकल व बिजनौर के मरीजों को भी महंगे दामों पर इंजेक्शन उपलब्ध कराए थे।
इंटरनेट कालिंग कर एकाउंट में मंगवाते थे पैसे
पुलिस पूछताछ में कामरान ने बताया कि जरूरतमंदों से इंटरनेट के जरिए कालिंग की जाती थी। ऐसा पुलिस की नजरों से बचने के लिए किया जाता था। मरीज के परिवार वालों ने सीधे एकाउंट में पैसे आने के बाद ही इंजेक्शन तीमारदारों तक पहुंचाया जाता था। स्वीकार किया कि गिरोह में शामिल लोग आपस में बातचीत में भी इंटरनेट कालिंग ही करते थे। इसी कारण पुलिस की नजरों से बचते रहे।
नामी अस्पताल का प्रमोटिंग एक्जीक्यूटिव भी शामिल
आरोपियों का एक साथी मझोला स्थित एक नामचीन अस्पताल में प्रोमोटिंग एक्जीक्यूटिव है। वह गिरोह के अन्य साथियों से रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू की टेबलेट खरीदकर जरूरतमंद लोगों को महंगे दामों में बेचता था। सद्दाम हुसैन ने कबूल किया कि वह अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू की टेबलेट चुराकर कामरान को बेचता था। बाद में कामरान उन्हें ग्राहकों को बेच देता था। चौथा आरोपी जीवन दिल्ली रोड स्थित बड़े अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ के पद पर था। वह वहां से रेमडेसिविर इंजेक्शन और फैबिफ्लू की टेबलेट चुराकर पीयूष को बेचता था। पांचवां साथी रिक्की ठाकुर बिलारी में नई सड़क पर रहता है। रिक्की ठाकुर मझोला स्थित अस्पताल में मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव है। फिलहाल उसका अस्पताल में उपचार चल रहा है।
सिपाही भाई की आड़ में सद्दाम कर रहा था कालाबाजारी
इंस्पेक्टर मझोला मुकेश शुक्ला ने बताया कि इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में रंगे हाथ पकड़ा गया सद्दाम शातिर दिमाग है। वह कांठ रोड स्थित निजी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ है। उसका भाई गाजियाबाद में सिपाही है। सद्दाम ने अपने भाई की आड़ में भी गाजियाबाद में भी चार से पांच इंजेक्शनों की कालाबाजारी की है। सद्दाम के पकड़े जाने के बाद सिपाही का सिफारिश के लिए फोन भी आया था। उसने गाजियाबाद के कई राजनीतिक लोगों से भी छोड़े जाने की गुहार लगाई थी।
किसी को खरीदनी थी कार तो किसी को देना था प्रेमिका को महंगा गिफ्ट
पकड़े गए कामरान, सद्दाम, पीयूष और जीवन कम समय में अमीर बनना चाहते थे। उनकी इस चाह ने ही सभी को सलाखों के पीछे भिजवाया दिया। कोई कालाबाजारी कर कमाए गए रुपयों से लग्जरी कार खरीदना चाहता था तो कोई प्रेमिका के लिए डायमंड की रिंग गिरफ्ट करना चाहता था।
पकड़े गए चारों आरोपी कोरोना पॉजिटिव
एसएसपी प्रभाकर चौधरी के व्हाट्सएप नंबर पर आई सूचना के बाद एसपी सिटी अमित कुमार आनंद के निर्देशन में टीम गठित की गई। एसओजी प्रभारी अजय कुमार, इंस्पेक्टर मझोला मुकेश शुक्ला ने गोपनीय सूचना के बाद छापेमारी करते हुए चारो को रंगे हाथ पकड़ लिया। प्रेस वार्ता से पूर्व सभी को जिला अस्पताल लाया गया। वहां सभी की कोरोना जांच कराई गई। इस दौरान सभी पाजिटिव पाए गए। इसी कारण सभी को प्रेस वार्ता में भी नहीं लगाया गया। सीधे अस्थाई जेल भेजा गया। रिक्की ठाकुर का दिल्ली रोड स्थित नामचीन अस्पताल में उपचार चल रहा है। इंस्पेक्टर मझोला मुकेश शुक्ला हाल ही में कोरोना जांच में निगेटिव आए हैं।