कोरोना वायरस से की दूसरे लहर से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। डीआरडीओ की एक लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज द्वारा डॉक्टर रेड्डी की लैब के साथ मिलकर बनाई गई कोरोना की ओरल दवा- 2- डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है। दवा के क्लिनिकल ट्रायल के नतीजे बताते हैं कि यह दवा अस्पताल में मौजूद कोरोना के मरीजों की जल्दी रिकवरी में सहायक है और इसी के साथ ही यह दवा मरीजों की ऑक्सीजन की जरूरत को भी कम करती है.
दवा के क्लीनिकल ट्रायल्स सफल साबित हुए हैं. दावा है कि जिन मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया, उनमें तेजी से रिकवरी देखी गई. साथ ही मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम हो गई. ये भी दावा है कि दवा के इस्तेमाल से मरीजों की कोरोना रिपोर्ट बाकी मरीजों की तुलना में जल्दी निगेटिव हो रही है. यानी, वो जल्दी ठीक भी हो रहे हैं.
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2020 में लैब में इस दवा पर एक्सपेरिमेंट किए थे. एक्सपेरिमेंट में पता चला था कि ये दवा कोरोना वायरस को रोकने में मदद करती है. इसके आधार पर DCGI ने मई 2020 में फेज-II ट्रायल्स करने की मंजूरी दी थी.
क्लीनिकल ट्रायल्स में क्या सामने आया? फेज-II: देशभर के अस्पतालों में इस दवा का ट्रायल किया गया. फेज-IIa के ट्रायल 6 और फेज-IIb के ट्रायल 11 अस्पतालों में किए गए. 110 मरीजों को शामिल किया गया. ये ट्रायल मई से अक्टूबर के बीच किया गया था. नतीजाः जिन मरीजों पर इस दवा का ट्रायल किया गया, वो बाकी मरीजों की तुलना में कोरोना से जल्दी ठीक हुए. ट्रायल में शामिल मरीज दूसरे मरीजों की तुलना में 2.5 दिन पहले ठीक हो गए.