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सवाल : घूंघट की आड़ से कैसे होगा विकास

ज्यादातर महिला प्रधानों ने घूंघट हटाए बगैर अपने पतियों की मौजूदगी में ली शपथ
बरेली। एक पहलू यह है कि 33 फीसदी महिला आरक्षण के अनुपात में इस बार जिले की करीब 49 फीसदी ग्राम पंचायतों में इस बार महिला प्रधान चुनी गईं और दूसरा यह कि ज्यादातर महिला प्रधान इस बार भी घूंघट में ही शपथ ग्रहण करती नजर आईं। इन आंकड़ों से ग्रामीण समाज की अपेक्षाओं के बारे में कोई नतीजा निकालना मुश्किल ही है लेकिन पंचायतों में महिलाओं को सशक्त और अधिकार संपन्न बनाने की उस मंशा पर एक बार फिर सवाल जरूर खड़ा हो गया जिसके तहत ग्राम पंचायतों में महिला आरक्षण लागू किया गया था।
तमाम ग्राम पंचायतों में महिला प्रधानों ने अपने पतियों के साथ शपथ ग्रहण की रस्म अदायगी की जिससे यह भी तय हो गया कि इन ग्राम पंचायतों की बागडोर प्रधान नहीं बल्कि प्रधान पति के हाथों में रहेगी। हद यह कि महिला प्रधानों को शपथ दिलाने पहुंचे सरकारी सिस्टम के प्रतिनिधियों ने भी इस पर एतराज नहीं किया। बता दें कि 1193 पंचायतों वाले इस जनपद में इस बार ग्राम प्रधानों के 398 पद महिलाओं के लिए आरक्षित थे लेकिन इसके बावजूद 583 पदों पर महिलाएं प्रधान चुनी गईं हैं। 33 फीसदी आरक्षण की तुलना में यह संख्या करीब 16 फीसदी ज्यादा है। हालांकि शपथ ग्रहण में पांच नवनिर्वाचित प्रधान अनुपस्थित रहे और 452 ग्राम प्रधानों की शपथ ग्राम पंचायतों में कोरम पूरा न होने की वजह से नहीं हो पाई।
प्रधान निशा से मुख्यमंत्री 28 को करेंगे सीधा संवाद
क्योंलड़िया। तहसील नवाबगंज के ब्लॉक भदपुरा की ग्राम पंचायत मरगापुर मरगईया से लगातार पांचवीं बार ग्राम प्रधान चुनी गई निशा गंगवार से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 28 मई को सीधा संवाद करेंगे। ग्राम प्रधान निशा गंगवार के पति नरोत्तमदास मुन्ना 1991 में पहली बार 42 मतों से विजयी होकर ग्राम प्रधान बने थे। इसके बाद इस सीट पर उनकी पत्नी निशा गंगवार चुनाव मैदान में उतरीं। पहली बार वह वर्ष 2000 में 362 मतों से विजयी हुई। वर्ष 2005 में 532 मतों से, 2010 में 679 मतों से, 2015 में 703 मतों से, 2021 में 250 मतों से जीत हासिल की है। लगातार पांच बार की प्रधान बनी निशा गंगवार अपनी पहचान मंडल में बना चुकी हैं। मंगलवार रात करीब नौ बजे सचिवालय से आए फोन के माध्यम से जब उन्हें जानकारी मिली तो वह खुश हो गई। उन्होंने बताया कि वह मुख्यमंत्री से गांव में विकास कार्यों को लेकर बात करेंगी। डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि जिले में एक ग्राम प्रधान से मुख्यमंत्री सीधा संवाद करेंगे, इसकी सूचना आ गई है। संवाद 
90 प्रतिशत अपराध महिलाओं से संबंधित होते हैं बरेली जिले में
यह चौंकाने वाला आंकड़ा पिछले साल 23 नवंबर को शासन के अपर मुख्य सचिव एवं बरेली के नोडल अफसर नवनीत सहगल की समीक्षा में सामने आया था जो 2020 के शुरुआती आठ महीनों के दौरान जिले में हुए अपराधों पर आधारित था।
प्राचीन काल से ही समाज पितृ सत्तात्मक रहा है। समाज की सत्ता या शक्ति हमेशा ही पुरुषों के ही हाथ में रही है। जो महिलाएं प्रधान बनी हैं, वे आरक्षित सीटों से निर्वाचित होकर आई हैं। जाहिर है कि उन्हें प्रधान बनाने के लिए पुरुषों ने ही आगे किया होगा। जो पुरुषवादी सोच का प्रतिनिधित्व करता है। भले ही वे प्रधान बन गईं हैं लेकिन काम उनके परिवार का ही कोई पुरुष करेगा। हम भले ही महिला सशक्तीकरण की बात करते हों, मगर अब भी महिलाएं पुरुषों की सोच के अनुसार ही कार्य कर रही हैं। महिलाओं की पहचान आज भी पुरुष के जरिए ही हो रही है। हालांकि नई पीढ़ी में सकारात्मक बदलाव दिख रहा है। वर्तमान पीढ़ी पुरातन सोच पर ही आगे बढ़ रही है, लेकिन जो नई पीढ़ी है वह घूंघट में शपथ ग्रहण नहीं करेगी। – नवनीत कौर आहूजा, विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र बरेली कॉलेज।

ग्राम पंचायत की बैठक में प्रधान को ही बैठना होगा वह चाहें महिला हो या पुरुष, प्रधान का प्रतिनिधि बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता है।- धर्मेंद्र कुमार,डीपीआरओ