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GST क्षतिपूर्ति: चालू वित्त वर्ष में कमी का अनुमान, लेना पड़ सकता है 1.58 लाख करोड़ का कर्ज

राज्यों को दी जाने वाली जीएसटी क्षतिपूर्ति में चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 2.69 लाख करोड़ रुपये की कमी रहने का अनुमान है। इसकी भरपाई के लिए इसमें से केंद्र को 1.58 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेना पड़ सकता है। केंद्र को उम्मीद है कि उपकर से 1.11 लाख करोड़ रुपये से अधिक राशि प्राप्त होगी। यह राशि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्रियान्वयन की वजह से राज्यों के राजस्व में आई कमी की भरपाई के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाएगी। जीएसटी व्यवस्था के तहत राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति के वादे के अनुसार शेष 1.58 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिए जाएंगे।

केंद्र को राजस्व में सुधार की उम्मीद
जीएसटी परिषद की शुक्रवार को होने वाली बैठक से पहले राज्यों के साथ साझा किए गए एजेंडा नोट के अनुसार केंद्र को हालांकि चालू वित्त वर्ष में जीएसटी राजस्व में सुधार की उम्मीद है, लेकिन क्षतिपूर्ति की जरूरत और उपकर के जरिए जुटाई जाने वाली राशि के बीच कुछ अंतर रहेगा।

बजट में रखा गया था 17 फीसदी वृद्धि का अनुमान 
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में जीएसटी राजस्व में 17 फीसदी वृद्धि का अनुमान रखा गया था। इस लिहाज से मासिक सकल जीएसटी राजस्व 1.1 लाख करोड़ रुपये बैठता है। इसके आधार पर, यह अनुमान है कि फरवरी 2021 से जनवरी 2022 के बीच की अवधि में संरक्षित राजस्व (राजस्व में कमी होने पर क्षतिपूर्ति) और वास्तविक राजस्व में कमी, क्षतिपूर्ति जारी करने के बाद 1.6 लाख करोड़ रुपये के करीब रहेगी।

आठ माह बादकल होगी बैठक
पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में केंद्र ने राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए उनकी तरफ से कर्ज लिया था और उन्हें 1.10 लाख करोड़ रुपये जारी किए थे। इसके अलावा 68,700 करोड़ रुपये उपकर के जरिए संग्रह किए गए थे। जीएसटी परिषद की बैठक करीब आठ महीने बाद 28 मई को हो रही है।

कोविड-19 की दूसरी लहर से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने के कारण केंद्र सरकार को लगातार दूसरे साल राज्यों को जीएसटी मुआवजे की भरपाई करनी पड़ सकती है। शुक्रवार को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में राज्य उपकर वसूली की अवधि पांच साल और बढ़ाने की मांग कर सकते हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, अप्रैल और मई में ई-वे बिल जारी करने में आई कमी से संकेत मिलता है कि मई में राजस्व संग्रह अप्रैल की तुलना में करीब 30 फीसदी कम रह सकता है और जून में यह एक लाख करोड़ रुपये से कम रहने का अनुमान है।