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एयर मार्शल आरजे डकवर्थ सेंट्रल एयर कमांड के कमांडिंग-इन-चीफ बने, 38 साल की सर्विस में भर चुके हैं 3000 घंटों की उड़ान

मिग फाइटर प्लेन के सबसे बड़े एयर बेस वाले सेंट्रल एयर कमांड (CAC) की बागडोर एयर मार्शल आरजे डकवर्थ ने गुरुवार को संभाल ली। सेंट्रल कमांड के कमांडिंग-इन-चीफ (एओसी-इन-सी) बने डकवर्थ ने भारतीय वायु सेना की लड़ाकू शाखा में 28 मई 1983 को कमीशन प्राप्त किया था। उन्हें 38 सालों के अपने सेवाकाल के दौरान 3000 घंटों से भी ज्यादा समय तक उड़ान भरने की महारत हासिल है। इसमें प्रशिक्षण और लड़ाकू उड़ानें शामिल हैं।

38 सालों में 3000 घंटों से भी ज्यादा समय तक उड़ान भरने का महारत हासिल
एयर मार्शल के पदभार ग्रहण करने की जानकारी साझा करते हुए सेंट्रल एयर कमांड के प्रवक्ता ने बताया कि डकवर्थ अपने सेवाकाल के दौरान एयर अफसर के रूप में कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात रहे हैं। वह फ्रंटलाइन फाइटर स्क्वाड्रन के कमांडिंग अफसर रहे हैं। उन्होंने एक प्रीमियर फाइटर बेस की भी कमान संभाली है। एयर वाइस मार्शल के रुप में इन्होंने आईडीएस मुख्यालय में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (तकनीकी इंटेलिजेंस) के असिस्टेंट चीफ, एडवांस हेडक्वाटर्स मध्य वायु कमान में एयर अफसर कमाडिंग और दक्षिणी वायु कमान में एयर डिफेंस कमांडर जैसे महत्वपूर्ण पोस्ट पर रह चुके हैं।

जांबाजी के लिए मिला सम्मान
सेंट्रल एयर कमांड के प्रवक्ता ने बताया कि एयर मार्शल के रुप में वो मध्य वायु कमान और पश्चिमी वायु कमान के सीनियर एयर स्टाफ अफसर भी रहे हैं। वर्तमान पदभार ग्रहण करने से पहले वायु सेना मुख्यालय में एयर अफसर प्रभारी कार्मिक थे। डकवर्थ राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज वेलिंग्टन और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के पूर्व छात्र हैं। अपनी जांबाजी और साहसपूर्ण सेवाओं के लिए उन्हें 2008 में विशिष्ट सेवा मेडल और 2021 में अति विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है।