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3 दिन और 2 मुलाकात .तब जाकर राजी हुए तीरथ सिंह रावत, जानें उत्तराखंड में कैसे चढ़ा सियासी पारा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, उन्होंने इतनी आसानी से इस्तीफा नहीं दिया है, इसके लिए तीन दिन और दो मीटिंग की जरूरत पड़ गई। उत्तराखंड में भाजपा के अंदर सियासी मंथन पिछले तीन दिनों से राजधानी दिल्ली में चल रहा था। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तीन दिन के भीतर भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से दो बार मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इन्हीं मुलाकातों के बाद रावत अपने पद से इस्तीफा देने को तैयार हुए। शुक्रवार देर शाम नड्डा से मुलाकात के बाद देहरादून जाकर उन्होंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। इससे पहले भाजपा अध्यक्ष ने मुलाकात के बाद रावत ने कहा था कि उन्होंने आगामी चुनाव व राज्य के विकास को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा की है।

उपचुनाव के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह चुनाव आयोग को तय करना है कि कब चुनाव कराना है। वह शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर काम करेंगे। शुक्रवार को नड्डा के आवास पर मुख्यमंत्री की लगभग आधे घंटे की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई, जब रावत के भविष्य को लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसके पहले रावत ने बुधवार को देर रात भाजपा अध्यक्ष नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। वह गुरुवार को वापस जाने वाले थे, लेकिन उन्होंने अपनी यात्रा रद्द कर दी थी। इसके बाद वह शुक्रवार को एक बार फिर भाजपा अध्यक्ष से मिले।

पौड़ी से लोकसभा सांसद रावत ने इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। अपने पद पर बने रहने के लिए 10 सितम्बर तक उनका विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना संवैधानिक बाध्यता है। प्रदेश में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है। कोरोना काल में चुनाव आयोग ने सभी तरह के चुनाव रोक रखे हैं। ऐसे में उपचुनाव कराए जाने का फैसला निर्वाचन आयोग पर निर्भर करता है।

20 साल में 11 मुख्यमंत्री
वर्ष 2000 में उत्तराखंड अलग राज्य बना था। हालांकि इस पहाड़ी राज्य में सियासी घटानाक्रम तेजी से बदलता रहा है। महज 20 साल के इतिहास में इस राज्य में 11 मुख्यमंत्रियों ने शपथ ली। रोचक बात यह है कि राज्य के गठन से लेकर अब तक इतिहास में केवल नारायण दत्त तिवारी ही ऐसे मुख्यमंत्री रहे, जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। बाकी किसी भी मुख्यमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। सबसे ज्यादा हरीश रावत ने तीन बार शपथ ली है।