पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता रावत ने प्रशासनिक रवैये से आहत होकर शुक्रवार को अन्न त्याग दिया। सरकार की वादा खिलाफी से आहत शहीद के परिजनों ने आरोप लगाया कि आगरा से लखनऊ तक दो सौ से ज्यादा चक्कर काटने के बाद भी शहीद की मूर्ति का अनावरण हुआ न शहीद द्वार बना। सरकार और प्रशासन के वादे कोरे ही रह गए। जब तक आश्वासनों और वादों को हकीकत का अमलीजामा नहीं पहनाया जाता, शहीद का परिवार धरने से नहीं उठेगा।
सरकार और प्रशासन के रवैये से क्षुब्ध शहीद कौशल रावत का परिवार गुरुवार को शहीद पति के स्मारक के सामने धरने पर बैठ गया था। शुक्रवार को शहीद की पत्नी ममता रावत ने अन्न त्यागने की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि जब तक वादे पूरे नहीं होंगे, वह धरने से नहीं उठेंगी। ममता रावत ने कहा कि प्रशासन ने शहीद की प्रतिमा को स्थापित करने के साथ ही जीवन यापन को जमीन देने का आश्वासन भी दिया था। जीवन यापन तो दूर की बात शहीद स्मारक बनाने के लिए भी प्रशासन ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई। उन्होंने अपनी जमीन पर शहीद स्मारक बनाया। पुत्र अभिषेक ने बताया कि पुलवामा हमले में पिता कौशल कुमार रावत समेत यूपी के 12 अन्य जवान भी शहीद हुए थे। अभिषेक का दावा है कि इनमें अन्य जिलों के 11 शहीदों के परिवार को तीन से पांच बीघा जमीन मिल चुकी है। जबकि उन्हें 28 महीने बाद भी एक इंच जमीन नहीं दी गई है। धरने पर बैठने वालों में शहीद की वीर नारी ममता रावत, भाई कमल किशोर रावत, बेटा अभिषेक, बेटी अपूर्वा, भतीजा आकाश और मुकेश पचौरी आदि शामिल हैं।
कहां गए 65 लाख 57 हजार रुपये
पुलवामा शहीद कौशल कुमार रावत के परिवार को बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से अपना एक दिन का वेतन दिया गया था। यह धनराशि 65 लाख 57 हजार रुपये थी। ममता रावत और उनके परिजनों ने कहा कि प्रशासन द्वारा यह धनराशि भी उन्हें अभी नहीं दी है। इससे पहले शहीद के परिवार द्वारा धरना देने की जानकारी होने पर प्रशासनिक अधिकारी गांव में पहुंचे थे। परिवार को समझाने का प्रयास भी किया। मगर, शहीद के परिजनों का कहना था कि जब तक वादे पूरे नहीं हो जाते, वह धरने से नहीं उठेंगे।
समर्थन में आए गांव वाले
गांव कहरई में धरने पर बैठे शहीद के परिवार के समर्थन में गांव वाले भी एकजुट हो रहे हैं। वह बारी-बारी से परिवार के साथ धरने में शामिल हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन के अधिकारियों को अपना वादा पूरा करना चाहिए। ममता रावत ने कहा कि वह लखनऊ से आगरा तक अधिकारियों के चक्कर काट काट कर परेशान हो चुके हैं। लखनऊ में सिर्फ एक बार मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात हुई थी। मगर उनका कोई काम नहीं किया गया।
पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को शहीद हुए थे कौशल
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद होने वालों में आगरा के थाना ताजगंज के कहरई गांव के कौशल कुमार रावत भी शामिल थे। कौशल कुमार का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए आगरा लाया गया था। शहीद की पत्नी ममता रावत ने बताया कि उस समय सरकार, प्रशासन के अधिकारियों और नेताओं ने कई वादे किए थे। इनमें प्रमुख रूप से शहीद द्वार बनाने, स्कूल और गांव की सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखने की कहा था। इसके साथ ही गांव के विकास और वहां सड़क बनवाने की कहा था।