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कश्मीर पर आंख दिखाने वाला तुर्की अब पड़ा नरम, अब जताई बातचीत की इच्छा

फ़िरात सुनेल भारत में तुर्की के नए राजदूत हैं। उन्होंने ठंडे पड़े भारत और तुर्की संबंध को लेकर कहा है कि भारत और तुर्की को अपने संबंधों को फिर से स्थापित करने की ज़रूरत नहीं है। तुर्की, भारत को ‘महत्वपूर्ण महत्व’ का मित्र मानता है। फ़िरात ने यह बात ‘दी प्रिंट’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा है। उन्होंने कहा है कि दोनों देशों को सहयोग को और मजबूत करना होगा।

अगस्त 2019 में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने के बाद भारत और तुर्की के बीच संबंध ख़राब होते चले गए थे। दोनों देशों की ओर से बहुत बयानबाजी हुई थी। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने अनुच्छेद 370 को लेकर भारत की आलोचना की थी। फरवरी 2020 में पाकिस्तान में एर्दोगन ने कहा था कि तुर्की कश्मीर मुद्दे पर इस्लामाबाद का समर्थन करेगा। इन कमेंट्स को भारत ने आंतरिक मामलों में घोर हस्तक्षेप और पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया था।

द्विपक्षीय संबंधों को बेहतरी के लिए काम कर रहे भारत और तुर्की

तुर्की के नए राजदूत फ़िरात सुनेल की बातों से लगता है कि दोनों देशों ने पिछली बातों को पीछे छोड़ आगे बढ़ने का फैसला किया है। 2021 के शुरुआत में विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने अपने तुर्की समकक्ष मेवलुत कावुसोग्लू से दुशांबे, ताजिकिस्तान में मुलाकात की थी और दोनों पक्षों ने अर्थव्यवस्था और व्यापार पर ध्यान देने के साथ अपने संबंधों में ‘सुधार’ करने की बात कही थी।

फ़िरात ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में दो देशों के पार्टनर होने का मतलब यह नहीं है कि दोनों देशों के विचार हर मसले पर एक समान हों। भारत और तुर्की अपने द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं।

अफगानिस्तान पर तुर्की क्या कहना है?

फ़िरात सुनेल ने दी प्रिंट से बात करते हुए बताया है कि, ‘अफगानिस्तान में हिंसा चरम स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे नाजुक मौके पर तुर्की का मानना है कि अफगानिस्तान में निष्पक्ष और स्थायी शांति के लिए बातचीत से समझौता ही एकमात्र रास्ता है। तालिबान भी अफगान समाज का ही हिसा है। तालिबान को देश की सरकार के साथ बातचीत करना चाहिए और समझौते के तहत राजनीतिक व्यवस्था में आना चाहिए।’ फ़िरात ने अफगानिस्तान में विकास के प्रयासों में भारत के योगदान की सराहना की है।