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खत्म होने की कगार पर ढाई करोड़ की आबादी का यह शहर, क्लाइमेट चेंज का कहर

कारें और घर पानी में डूब गए हैं। कहां नाली है और कहां बारिश का पानी है, यह अंतर पता नहीं चलता। लोग इस बात का अनुमान लगाने में बिजी हैं कि आखिर बाढ़ के चलते उनकी प्रॉपर्टी का कितना नुकसान हुआ है। यह हाल है अफ्रीका के सबसे ज्यादा आबादी वाले और नाइजीरिया के फाइनेंशियल सेंटर लागोस का। बारिश के मौसम में बीते कई सालों से यहां बुरा हाल हो जाता है। मार्च से नवंबर महीनों के दौरान इस शहर में बाढ़ के हालात रहते हैं और जीना मुहाल हो जाता है। खासतौर पर जुलाई और अगस्त के आसपास संकट और गहरा हो जाता है। लागोस के 32 वर्षीय शख्स एसेलेबोर ओसेलुनामहेन ने सीएनएन से बातचीत में कहा कि मैं बड़ी मुश्किल से अपने घर से निकल पाया हूं। बाढ़ के चलते सड़कों पर काफी ट्रैफिक रहता है। हम जितना आगे बढ़ते हैं, वाटर लेवल भी उतना ही बढ़ जाता है। यहां तक कि मेरी कार के बंपर तक पहुंच जाता है। यहां तक कि बाढ़ का पानी कार के भीतर भी कई बार घुस आता है। सोशल मीडिया पर अकसर ऐसे वीडियो और फोटो शेयर होते हैं, जिसमें शहर पूरी तरह पानी में डूबा नजर आता है। इसके चलते हर साल लागोस में 4 अरब डॉलर के कारोबार का नुकसान होता है।यही नहीं क्लाइमेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि अटलांटिक के तट पर बसा 2.4 करोड़ की आबादी का लागोस शहर इस सदी के अंत तक रहने लायक नहीं रहेगा। इसकी वजह खराब ड्रेनेज सिस्टम और अनियंत्रित शहरी विकास है। नाइजीरिया की हाइड्रोलॉजिकल एजेंसी ने कहा कि यह बाढ़ सितंबर में और विनाशकारी होता है। यह महीना नाइजीरिया में बारिश के पीक का होता है। लागोस समुद्र के किनारे स्थित कई द्वीपों पर बसा हुआ है। तटीय इलाकों में जल स्तर बढ़ गया है और इसके चलते बस्तियों में पानी आ जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि क्लाइमेट चेंज के चलते यह हालात देखने को मिल रहे हैं और इस सदी के अंत तक यह शहर खत्म हो सकता है।