क्या आपने पहले कभी सुना कि किसी गांव में पानी की कोई लाइन है ही नहीं और हर घर के आंगन में बिना पानी के नल लग चुका है? उत्तराखंड जल निगम ने राज्य के तमाम गांवों में ऐसा कारनामा कर दिखाया है। इन गांवों में अब तक कोई पेजयल योजना नहीं बनी है, कई गांवों में जलस्रोत भी नहीं है। फिर भी लोगों के घरों के आगे बिना जल का नल लगाकर करोड़ों रुपये के बजट को खपा दिया गया। गांव वाले पूछ रहे हैं, इन ‘तुगलकी स्कीमों’ के लिए पानी कहां से आएगा? कब आएगा? पेयजल योजना की मंजूरी से पहले बिना कनेक्शन का नल लगा देने की मजबूरी क्या थी?जल निगम के पास इन सवालों के जवाब नहीं हैं। पेयजल मंत्री कह रहे हैं, जहां बिना योजना के नल लग गए हैं, वहां की योजनाओं के लिए अब बजट दिया जा रहा है। किसी भी पेयजल योजना के लिए पहले स्रोत का सर्वे होता है, योजना मंजूर होने के साथ लाइनें बिछाई जाती हैं और अंत में पानी का कनेक्शन दिया जाता है। लेकिन जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल योजना में उल्टी गंगा बह रही है। जून, 2020 में शुरू इस बहुप्रचारित योजना में 15.18 लाख घरों में कनेक्शन देने का लक्ष्य है। राज्य में करीब 6.77 लाख घरों में नल लगाए जा चुके हैं। इसमें से बड़े पैमाने पर ऐसे कनेक्शन हैं, जहां पानी की योजना का पता ही नहीं है।
देहरादून के कालसी ब्लॉक के निवासी दीवान सिंह तोमर ने बताया कि धीरोग, सूरयू, देहू, डांडा, बेसऊ, बोहा, बोहारखेड़ा समेत तमाम ऐसे गांव हैं, जहां घर पर नल लगा दिए हैं पर पानी नहीं पहुंचा। पौड़ी जिले के द्वारीखाल के ब्लॉक प्रमुख महेंद्र सिंह राणा ने बताया कि पाली डब, पाली, क्यार, सुराड़ी, चैलूसैंण, सिमल्थालयूर, मथगांव, विरमोली, नैल, रैस, कर्थो सिलोगी, मस्ट, मस्टरखाल ऐसे गांव हैं, जहां पानी नहीं है और कनेक्शन लगा दिए गए हैं। पिथौरागढ़ जिले के रिटायर पुलिस अधिकारी हरीश मेहरा ने सोशल मीडिया में फोटो के साथ पोस्ट डाली कि जल जीवन मिशन के तहत उनके गांव में कनेक्शन तो लग गए। लेकिन गांव में पानी की कोई योजना ही नहीं है।
लोगों के घरों में लगे नलों में जल्द पानी उपलब्ध हो, इसके लिए अफसरों को सख्त निर्देश दे दिए हैं। जल जीवन मिशन के तहत उत्तरकाशी जिले की तीन, चंपावत की दो, यूएसनगर जिले की दस, हरिद्वार की दो, देहरादून जिले की आठ पेयजल योजनाओं के लिए 69.19 करोड़ रुपये का बजट जारी कर दिया है। हर घर तक नल के साथ जल सुनिश्चित कराया जाएगा।