संसद में पेगासस और अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं, लेकिन चार क्षेत्रीय दल इस मुहिम से दूरी बनाए हुए हैं। इन दलों को साथ नहीं ले पाना भी विपक्षी एकता की सबसे बड़ी चूक है। इन चार दलों के पास लोकसभा में 53 सांसद हैं।
सूत्रों की मानें तो इन दलों को भी विपक्षी एकता में शामिल करने की कोशिश की गई है लेकिन इनमें से ज्यादातर ने इससे असहमति प्रकट की है। हालांकि इसके कोई ठोस कारण नहीं बताए गए हैं लेकिन यह माना जा रहा है कि ये दल ज्यादा अहमियत क्षेत्रीय राजनीति को देते हैं और केंद्र के खिलाफ खड़ा होने में उन्हें राजनीतिक नुकसान नजर आता है।
चार में से तीन दलों वाईएसआर कांग्रेस, तेलंगाना राष्ट्र समिति और बीजू जनता दल की अपने-अपने राज्यों में सरकारें भी हैं। वाईएसआर के 22, बीजद के 12, टीआरएस के नौ सांसद हैं। चौथी पार्टी बहुजन समाज पार्टी है, जिसके लोकसभा में 10 सांसद हैं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से बसपा भी विपक्षी एकता से दूसरी बनाए हुए है।
रोचक बात यह है कि तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना तथा ओडिशा में सत्तारूढ़ दलों का कहीं भी विपक्षी एकता में टकराव आड़े नहीं आ रहा है। मसलन, कांग्रेस विपक्षी एकता का संसद में नेतृत्व कर रही है, लेकिन तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस विपक्ष में भी नहीं है। आंध्र प्रदेश में दूसरी बड़ी पार्टी तेदेपा तथा तेंलगाना में एआईएमआईएम है। इसी प्रकार ओडिशा में भाजपा विपक्षी दल है।
ऐसे में इन तीनों दलों के विपक्ष के साथ खड़े में राज्य की राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन वे खड़े नहीं है। साफ है कि वह केंद्र सरकार के विरुद्ध नहीं दिखना चाहते हैं। दूसरी तरफ केरल में कांग्रेस का विरोधी होने के बावजूद वामदल विपक्षी एकता में शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी विपक्षी एकता के साथ खड़ी है, लेकिन बपसा नहीं है। बसपा तर्क दे सकती है कि वह सपा के साथ खड़ी नहीं होना चाहती है लेकिन पूर्व में ऐसे कई मौके आए हैं जब दोनों दल एक राजनीतिक मुद्दों पर एक साथ खड़े हुए हैं। लोकसभा चुनाव तक मिलकर लड़ चुके हैं।
ऐसे में विपक्षी एकता में एक साथ खड़े नहीं होना साफ जाहिर करता है कि असल मुद्दा केंद्र के खिलाफ नहीं जाना है। आम आदमी पार्टी का लोकसभा में एक सांसद है। हालांकि वह एक दिन पूर्व राहुल गांधी की नाश्ते पर बुलाई गई बैंठक में शामिल नहीं थी। लेकिन बुधवार को राज्यसभा में विपक्ष की तरफ से जारी 14 दलों के संयुक्त बयान में आम आदमी पार्टी शामिल है।