तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान में भारत सहित किसी भी देश के इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। इसके लिए तालिबान ने एक शर्त रखी है. शर्त ये कि ये देश बस अशरफ गनी सरकार द्वारा किए जा रहे गोलीबारी का समर्थन करना बंद कर दें। फिर अफगानिस्तान में उनके प्रोजेक्ट्स को किसी भी तरह का खतरा नहीं है। तालिबान के इस बात पर भारतीय विदेश मंत्रालय अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यह पहली बार है जब तालिबान ने कथित तौर पर भारत से समझौते की बात की है। तालिबान प्रतिनिधिमंडल अब तक ईरान, रूस और चीन जैसे देशों से बातचीत कर रहा है और कुछ हद तक इसी तरह के प्रस्ताव सौंप रहा है। दी ट्रिब्यून ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह बयान तालिबान के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की तुलना में काफी कम-रैंकिंग वाले सदस्य का है, जिन्होंने बीजिंग, मॉस्को और तेहरान का दौरा किया है। बता दें कि जबीउल्लाह मुजाहिद को तालिबान के मेसेज को अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाने वाले की तरह देखा जाता है।
तालिबान भारत को पाकिस्तान के चश्मे से नहीं देखता
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि हम किसी भी देश द्वारा आर्थिक परियोजनाओं को लेकर धमकी नहीं दे रहे और न ही विरोध कर रहे। हम अफगानिस्तान में निवेश करने वाले देशों के पक्ष में हैं। हमने कुछ दिन पहले चीन की यात्रा की थी। चीन से हमारी मुख्य मांगों में से एक यह थी कि वे अफगानिस्तान के साथ व्यापार और निवेश में सहयोग करे।एक इंटरव्यू में जबीउल्लाह ने इस बात से इनकार किया है कि तालिबान भारत को पाकिस्तान के चश्मे से देखता है। जबीउल्लाह ने आश्वासन दिया है कि तालिबान ‘इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है’।