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पीलीभीत के सिमरनजीत का टोक्यो ओलंपिक में कमाल, दो गोल कर रखी जीत की बुनियाद

टोक्यो ओलंपिक में दुआएं और अरदास ने अपना असर दिखाया। पुरुष हॉकी मुकाबले में भारतीय टीम ने जर्मनी को चार के मुकाबले पांच गोल दाग कर कांस्य पदक अपने नाम कर लिया। इस जीत की सबसे बड़ी बात है कि जापान के टोक्यो में पीलीभीत की काबिलियत का डंका बज गया है। जर्मनी पर पहला गोल दागने वाला मझारा के लाल सिमरनजीत सिंह ने एक के बाद एक दो गोल दागे और तीसरा पेनाल्टी कार्नर बना कर अन्य साथियों को दिया। यह भी विजयी गोल में तब्दील हो गया। 

जर्मनी को मैच के अंतिम हॉफ में एक पेनाल्टी शूट मिला पर वह अवसर भुना नहीं सके। उत्साह और भावानाओं के उफान में टोक्यों से आई खुशी की लहर पीलीभीत तक पहुंची। यहां सिमरनजीत के परिजन बल्लियों उछल पड़े। यही नहीं पंजाब में सिमरनजीत के ताऊ रक्षपाल सिंह और पहले कोच रंजीत सिंह व आस्ट्रेलिया में सिमरनजीत के भाई अर्शदीप की खुशी का ठिकाना नहीं है। हर किसी ने भांगड़ा करते हुए अपनी खुशी का इंजहार किया।

भारतीय टीम लंबे समय 41 साल बाद ओलंपिक में खोए गौरव को पाने में कामयाब रही है। यही नहीं पीलीभीत के सिमरनजीत  का यह प्रदर्शन बेजोड़ साबित हुआ है। सिमरनजीत के पिता इकबाल सिंह ने कहा कि देश वासियों की दुआओं का कमाल है कि भारतीय टीम ने पूरे आयोजन में केवल दो मैच हारे बाकी टीम अद्वितीय खेल की वजह से विजयी रही।