हाईकोर्ट ने रोडवेज कर्मचारियों को छह माह से वेतन नहीं दिए जाने और अब तक उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की रोडवेज संबंधी परिसम्पत्तियों का बंटवारा नहीं किए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने सरकार से सीधा सवाल किया कि दोनों यूपी और उत्तराखंड के परिवहन सचिवों की मीटिंग करने में कहां समस्या आ रही है ? कोर्ट के बार-बार आदेश देने के बाद भी अभी तक दोनों प्रदेशों के सचिवों की मीटिंग नहीं हो पा रही है।
कोर्ट ने केंद्र सरकार के परिवहन सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह शीघ्र ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के परिवहन सचिवों की मीटिंग कराएं, जिससे परिवहन निगम की परिसंपत्तियों का बंटवारा हो सके। कोर्ट ने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से कहा कि वह एक सप्ताह के भीतर कोर्ट को बताएं कि कब तक दोनों प्रदेशों के परिवहन सचिवों की बैठक होगी। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई।
उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन की तरफ से दायर जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान वित्त सचिव अमित नेगी, परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा, परिवहन निगम के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक डॉ.नीरज खैरवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। सुनवाई के बाद खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 18 अगस्त की तिथि नियत की है।
बार-बार आदेश के बावजूद मीटिंग क्यों नहीं हो रही?
पूर्व में कोर्ट के निर्देश के क्रम में परिसम्पत्तियों के बंटवारे के लिए दोनों प्रदेशों के परिवहन सचिवों की बैठक के बारे में दिए निर्देश के संबंध में कोर्ट के सवाल पर केंद्र सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब दो देशों के प्रधानमंत्रियों की बैठक होती है, तो विदेश सचिवों की मुख्य भूमिका होती है, लेकिन यहां कोर्ट द्वारा बार-बार आदेश देने के बाद भी अभी तक सचिवों की मीटिंग तक नहीं हो पा रही है। सवाल किया कि मीटिंग करने में कहां समस्या आ रही है?
यह है याचिका
उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार उनके खिलाफ ‘एस्मा’ लगाने जा रही है, जो नियमविरुद्ध है। सरकार कर्मचारियों को हड़ताल करने पर मजबूर करती आई है। सरकार और परिवहन निगम न तो संविदा कर्मचारियों को नियमित कर रही है और न उनको नियमित वेतन दिया जा रहा है। उनको पिछले चार साल से ओवरटाइम भी नहीं दिया जा रहा है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों के देयकों का भी भुगतान नहीं किया गया है।कहा है कि यूनियन का सरकार और निगम के साथ कई बार मांगों को लेकर समझौता हो चुका है, लेकिन समस्या जस की तस है। याचिका में कहा है कि सरकार ने निगम को 45 करोड़ रुपया बकाया देना है, वहीं उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा भी उत्तराखंड निगम को 700 करोड़ रुपया देना है। न तो राज्य सरकार निगम को उसका 45 करोड़ रुपये दे रही है और न ही राज्य सरकार उत्तर प्रदेश से 700 करोड़ रुपये की मांग कर रही है। इस वजह से निगम न तो नई बसें खरीद पा रहा है और न ही बस में यात्रियों की सुविधाओं के लिए सीसीटीवी समेत अन्य सुविधाएं दे पा रहा है।