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चीन-पाकिस्तान की सीमा से सटी NHAI की परियोजनाएं वापस चाहती है NHIDCL, सरकार को भेजा प्रस्ताव

सरकारी उपक्रम एनएचएआईडीसीएल ने जम्मू, कश्मीर, लेह में भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमा की समस्त राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से वापस लेकर विभाग को वापस सौंपने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा है। इस बाबत उपक्रम के प्रबंध निदेशक ने एक पत्र लिखा है, जिसमें सात साल पहले कैबिनेट में हुए फैसले की याद दिलाते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की है।

एनएचएआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक एस.एस. पाठक की ओर से 03 अगस्त को सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव गिरधर अरमाने को लिखे पत्र में उल्लेख है कि 13 मार्च 2014 के कैबिनेट की बैठक में सीमा के राजमार्ग परियोजनाओं के लिए एक समर्पित नए विभाग के गठन का फैसला हुआ था। इसमें स्पष्ट था कि रक्षा मंत्रालय की जरूरत के अनुसार सीमा पर राष्ट्रीय राजमार्ग विकसित करने का काम एनएचएआईडीसीएल प्राथमिकता के आधार पर करेगा। इस आधार पर एनएचएआईडीसीएल ने कुल 145 स्थानों पर 13 रीजनल आफिस (आरओ), 46 प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू), 81 साइट आफिस, पांच ट्रांजिट कैंप स्थापित किए हैं।

पाठक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लेह की भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमा पर विभाग की पर्याप्त उपस्थिति है। इसलिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यहां की उन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं और डीपीआर परियोजनाएं एनएचएआईडीसीएल को सौंपे जाने की जरूरत है, जो बीआरओ, सड़क परिवहन मंत्रालय, राज्य एजेंसी पीडब्ल्यूडी द्वारा विकसित की जा रही हैं। एस.एस. पाठक ने अपनी बात पर बल देने के लिए पत्र के साथ कैबिनेट बैठक के मिनट्स को भी संलग्न किया है।इसमें 01 नवंबर 2013 की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की टिप्पणियों का जिक्र है कि सीमा पर बुनियादी ढांचे का विकास व सीमा प्रबंधन के लिए पृथक विभाग के गठन की जरूरत बताई गई थी। इसके मद्देनजर सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव से बीआरओ को राजमार्ग परियोजनाएं व डीपीआर परियोजनाएं एनएचएआईडीसीएल को वापस करने का निर्देश जारी करने की मांग की गई है। विदित हो कि प्रबंध निदेशक ने पिछले दिनों विभाग के पास दक्षता का अभाव का हवाला देते हुए जोजिला टनल जैसी सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं को बीआरओ को देखने के लिए सचिव को पत्र लिखा था। लेकिन अब खुद बीआरओ की परियोजनाएं वापस मांग रहे हैं।