देश में 2019 में लोकसभा चुनाव संपन्न हुए। इस साल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) की आमदनी 2018-19 की तुलना में करीब 50 प्रतिशत बढ़ी है। इससे पहले वर्ष में बीजेपी की आमदनी करीब 2,410 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 3,623 करोड़ रुपये हो गई। इसी अवधि में पार्टी का कुल खर्च 1,005 करोड़ रुपये की तुलना में 64 प्रतिशत बढ़कर 1,651 करोड़ रुपये हो गया।
चुनाव आयोग द्वारा सोमवार को पेश की गई भाजपा की वर्ष 2019-20 के लिए वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सत्तारूढ़ दल ने 2019-20 में चुनावी बॉन्ड से 2,555 करोड़ रुपये कमाए, जो कि करीब 76 प्रतिशत अधिक थी। 2019-20 में इसका कुल चुनावी खर्च बढ़कर 1,352.92 करोड़ रुपये हो गया।
कांग्रेस को नुकसान, बीजेपी की बल्ले-बल्ले
वर्ष 2019-20 में कांग्रेस की कुल आमदनी 682 करोड़ रुपये थी। देश की सबसे पुरानी पार्टी की तुलना में सत्तारूढ़ दल की आय लगभग 5.3 गुना अधिक थी। दिलचस्प बात यह है कि 2019-20 में भाजपा की आय राष्ट्रीय दलों, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, बसपा, सीपीएम और सीपीआई की संयुक्त आय से तीन गुना अधिक थी। वहीं, 2018-19 और 2019-20 के बीच भाजपा की आय में 50% की वृद्धि के ठीक विपरीत, कांग्रेस की आय इसी अवधि में 998 करोड़ रुपये से 25% की गिरावट के साथ 682 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी।
भाजपा को कहां से मिले कितने पैसे
सत्तारूढ़ दल को 291 करोड़ रुपये व्यक्तियों से, 238 करोड़ रुपये कंपनियों और संगठनों से, 281 करोड़ रुपये संस्थानों और कल्याणकारी निकायों से और 33 करोड़ रुपये ‘अन्य’ से आए। जीवन सहयोग निधि में कुल 23 करोड़ रुपये, मोर्चों से 5.03 करोड़ रुपये और बैठकों से 34 लाख रुपये का योगदान था। भाजपा को आवेदन शुल्क से 28 लाख रुपये, प्रतिनिधि शुल्क से 1.29 करोड़ रुपये और सदस्यता शुल्क 20.12 करोड़ रुपये मिले।
भाजपा ने जमकर किया खर्च
अपने चुनावी खर्च के हिस्से के रूप में, भाजपा ने विज्ञापनों पर 400 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए, जो 2018-19 में खर्च किए गए 229 करोड़ रुपये का लगभग दोगुना है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्रचार पर कुल 249 करोड़ रुपये और प्रिंट मीडिया पर 47.38 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो क्रमशः 171.26 करोड़ रुपये और 20.32 करोड़ रुपये थे। पार्टी ने अपने नेताओं और उम्मीदवारों की हवाई यात्रा पर भी 250.49 करोड़ रुपये खर्च किए, जो 2018-19 में 20.63 करोड़ रुपये था। विज्ञापन और हवाई यात्रा पर अधिक खर्च को इस तथ्य से समझाया जा सकता है कि 2019-20 लोकसभा चुनाव का वर्ष भी था।
पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवारों को 2019-20 में वित्तीय सहायता के रूप में 198.27 करोड़ रुपये की दी गई, जो एक साल पहले 60.35 करोड़ रुपये थी।
वर्ष 2019-20 के लिए अन्य राष्ट्रीय दलों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के एक अध्ययन से पता चलता है कि कांग्रेस की कुल आय 682 करोड़ रुपये, तृणमूल कांग्रेस की 143.67 करोड़ रुपये, सीपीएम की 158.62 करोड़ रुपये, बसपा की 58.25 करोड़ रुपये, एनसीपी की 85.58 करोड़ रुपये और सीपीआई 6.58 करोड़ रुपये है। चुनाव आयोग ने सोमवार को राकांपा की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट भी पेश की।
कुछ क्षेत्रिय दलों को भी हुआ फायदा
कुछ क्षेत्रीय दलों जैस की टीआरएस ने अपने राष्ट्रीय समकक्षों की आय के बराबर आमदनी की है। 2019-20 में टीआरएस को 130.46 करोड़ रुपये मिले। वहीं, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की आमदनी 92.73 करोड़ रुपये, टीडीपी की 91.5 करोड़ रुपये, बीजेडी की 90.35 करोड़ रुपये और अन्नाद्रमुक की 89 करोड़ रुपये की आमदनी थी। .जहां तक 2019-20 के खर्च का सवाल है, राकांपा ने 109.18 करोड़ रुपये, तृणमूल ने 107.27 करोड़ रुपये, सीपीएम ने 105.68 करोड़ रुपये, बसपा ने 95.05 करोड़ रुपये और भाकपा ने 6.53 करोड़ रुपये खर्च किए।
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