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तीन तलाक से IT एक्ट की धारा 66 A तक…कई अहम फैसले देने वाले जस्टिस रोहिंटन आज होंगे रिटायर

कई अहम फैसले देने वाले सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन आज यानी गुरुवार को रिटायर होंगे। वह सुप्रीम कोर्ट के एक ऐसे जज रहे, जो अपने धर्म का शीर्ष पुजारी भी थे। उन्होंने इसे कभी छिपाया नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपने संक्षिप्त जीवनवृत में भी प्रमुखता से लिखा है। जस्टिस रोहिंटन प्रमुख न्यायविद् फाली नारीमन के पुत्र हैं।

अपने सात वर्ष की सुप्रीम कोर्ट की सेवा में उन्होंने अनेक ऐसे फैसले दिए, जिनसे लोगों का जीवन बदल गया। आईटी एक्ट की धारा 66 ए को रद्द करने का फैसला उन्हीं का था, जिससे लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपनी राय स्वतंत्रता से रखने का मौका मिला। इस धारा के रद्द होने से पुलिस को आपत्तिजनक पोस्ट की शिकायत पर गिरफ्तार करने की शक्ति समाप्त कर दी गई थी। एलजीबीटी अधिकार, निजता को मौलिक अधिकार, 

पुजारी होने के नाते नरीमन को अग्यारी (पारसी मंदिर में पवित्र स्थान जहां हमेशा ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है) में गभगृह में जाने का अधिकार है। वे पारसी समुदाय में विवाह और बच्चों के संस्कार कराते हैं। उन्होंने जोराउस्ट्रीयन धर्म पर देश विदेश में तमाम व्याख्यान दिए हैं। उनके पिता ने अपनी एक किताब में लिखा है कि वह पुजारी परिवार से ताल्लुक रखते हैं और यही वजह थी कि पत्नी के कहने पर उन्होंन रोहिंटन को 12 वर्ष की अवस्था में बांद्रा अग्यारी में पारसी धर्म का पुजारी बनने की दीक्षा दिलवाई।

समाप्त करने और मणिपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए लोगों की जांच जैसे फैसले उनके प्रमुख फैसले हैं।

कोर्ट और कोर्ट के बाहर उन्हें सपाट और बेबाक बोलने के लिए जाना जाता है। उनके कोर्ट में कोई भी आए, वह सबको बराबर तवज्जो देते हैं। चाहे वह सीनियर वकील हो या जूनियर। मोदी सरकार ने उन्हें 7 जुलाई 2014 को वरिष्ठ वकील से सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की संस्तुति की थी। इससे पूर्व वह कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में सॉलिसिटर जनरल भी रहे थे लेकिन तत्कालीन कानून मंत्री से मतभेद होने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।