Monday , January 20 2025

अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति से कैसे बढ़ रही भारत की चिंता, पाक चल रहा नापाक चाल?

अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते कब्जे को लेकर कूटनीतिक जानकारों ने चिंता जताई है। माना जा रहा है कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है। विश्व समुदाय को पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देना चाहिए, जिससे स्थिति को बिगड़ने से बचाया जा सके। जानकारों का कहना है कि जहां तक भारत का प्रश्न है, वह तालिबान के जबरन कब्जे को स्वीकार्यता नहीं दे रहा है। पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि भारत ने तालिबान से सीधी वार्ता में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है।

भारत अफगान नियंत्रित, अफगान की अगुवाई वाली वार्ता का ही हिमायती रहा है। इसलिए रूस द्वारा बुलाई गई बैठक में भारत को रणनीतिक तौर पर शामिल नहीं किया गया हो, लेकिन भारत लगातार कूटनीतिक रूप से सक्रिय है और शांति के लिहाज से उसका महत्व सबको पता है। शशांक का कहना है कि इसका ये मतलब नहीं है कि भारत का कूटनीतिक महत्व नहीं है या रूस भारत की अनदेखी कर रहा है। 

ज्यादातर देशो ने तालिबानी हिंसा की निंदा की
शशांक ने कहा कि हमें ये नही भूलना चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बैठक की अध्यक्षता करते हुए भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर बैठक बुलाई। इसमे ज्यादातर देशो ने तालिबानी हिंसा की निंदा की। दूसरी समुद्री सुरक्षा पर प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में रूस के राष्ट्रपति शामिल हुए। वे अकेले बड़े देश के राष्ट्रपति थे जिन्होंने इसमें शिरकत की। इसलिए भारत की अनदेखी इस क्षेत्र में संभव नही है।शशांक ने कहा कूटनीतिक और रणनीतिक जरूरतों के मुताबिक अलग अलग बैठकें हो रही हैं। भारत की अपनी पहली रुचि अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में होनी चाहिए। दूसरा भारत ने जो रचनात्मक निवेश अफगानिस्तान में किया है। उसे तालिबान नष्ट न करें। भारत ने ये संदेश बैकडोर बैठकों के जरिए पहुंचाया है।