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सीबीआई की फर्जी नोटिस भेजकर अफसरों-व्यापारियों को डरा रहा रिटायर इंस्पेक्टर, एफआईआर दर्ज

सीबीआई में 10 साल इंस्पेक्टर की नौकरी की, फर्जीवाड़े में फंसा तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्त (वीआरएस) ले ली। अब सीबीआई की फर्जी नोटिस भेजकर अफसरों व व्यापारियों को डरा रहा है। चंगुल में फंसे अफसरों व व्यापारियों को नोटिस वापस कराने का झांसा भी दिया। सीबीआई की कार्यप्रणाली से अच्छी तरह से वाकिफ इस रिटायर इंस्पेक्टर की कारगुजारी से सीबीआई भी परेशान है। रेलवे के एक अफसर की शिकायत पर अब सीबीआई ने आरोपी रिटायर इंस्पेक्टर गिरीश कुमार दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। उसके लखनऊ स्थित घर पर सीबीआई ने तलाशी भी ली। गिरीश कुमार वर्ष 2001 में सीआईएसएफ से प्रतिनियुक्त पर सीबीआई की लखनऊ यूनिट में आया था। विवेक खण्ड, गोमतीनगर निवासी गिरीश कुमार वर्ष 2010 तक सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच लखनऊ यूनिट में रहा। सीबीआई के एक अधिकारी के मुताबिक उस पर कई आरोप लगे तो उसने अपने विभाग से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त ले ली। रिटायर होने के बाद गिरीश दुबे के खिलाफ कई शिकायतें विभाग को मिली जिसके मुताबिक वह जिस जगह सीबीआई छापा मारती है, वहां कुछ दिन बाद खुद को सीबीआई का अफसर बताकर मिलता है। कुछ को फर्जी नोटिस भी भेजी। कई जगह सम्पर्क कर उनका मामला निपटाने का भी झांसा दिया। इसी महीने गुवाहाटी, मालीगांव में तैनात रेलवे अधिकारी केके अग्रवाल ने सीबीआई से सम्पर्क किया। उन्होंने कहा कि सात अक्टूबर, 2020 को सीबीआई के डिप्टी एसपी आरएल यादव की ओर से उन्हें एक नोटिस आया है। शिकायत संख्या 336 दर्शाते हुए इस नोटिस में उनसे कहा गया है कि वह शिकायत के सम्बन्ध में अपने दस्तावेज लेकर 28 अक्तूबर, 2020 को सीबीआई आफिस में पेश हो। सीबीआई ने जब इस पत्र की पड़ताल की तो सामने आया कि डिप्टी एसपी आरएल यादव ने ऐसी कोई नोटिस ही नहीं भेजी है। 

लखनऊ एयरपोर्ट से पोस्ट किया, बोला दिल्ली दिखाना

सीबीआई इंस्पेक्टर सुमित गुप्ता की ओर से दर्ज एफआईआर के मुताबिक यह नोटिस लखनऊ एयरपोर्ट के पास भगवती गोल्डेन कैरियर्स से कूरियर की गई थी। सीबीआई ने यहां पूछताछ की तो पता चला कूरियर करने वाले ने अपना परिचय सीबीआई अधिकारी गिरीश दुबे के रूप में दिया था। आरएल यादव को अपना सीनियर बताते हुए कहा था कि उन्होंने ही इस नोटिस को भेजा है। कूरियर वाले से यह भी कहा था कि इस नोटिस के लिफाफे पर दिल्ली से पोस्ट किया हुआ दिखाना। ऐसा इसलिये किया गया ताकि केके अग्रवाल को लगे कि कूरियर दिल्ली से ही आया है। 

फैजाबाद से चुनाव भी लड़ा

सीबीआई अफसरों ने दावा किया है कि गिरीश कुमार दुबे वर्ष 2012 में फैजाबाद (अब अयोध्या) से निर्दलीय विधान सभा का चुनाव भी लड़ चुका है। सीबीआई आरोपी इंस्पेक्टर के बारे में अभी और पड़ताल कर रही है। अभी उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।