अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान भी दरियादिली दिखाने में पीछे नहीं रह रहा है। पाकिस्तान सरकार ने बुधवार को तालिबान के सक्रिय सदस्य मुल्ला मोहम्मद रसूल को रिहा कर दिया है। मुल्ला पिछले पांच साल से पाकिस्तान की जेल में बंद था। मुल्ला रसूल (56) को 2016 के मार्च में पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर बलूचिस्तान प्रांत में गिरफ्तार किया गया था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक मुल्ला मोहम्मद रसूल तालिबान में एक जाना-पहचाना नाम था। लेकिन मुल्ला अख्तर मंसूर के तालिबान प्रमुख बनने के विरोध में उसने अपना अलग संगठन बना लिया। इसके बाद पाकिस्तान ने उसे पकड़कर जेल में डाल दिया था। तब से वो जेल में ही बंद था।
तालिबान के नेतृत्व का किया था दावा
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2015 में पश्चिमी फराह प्रांत में तालिबान लड़ाकों की एक बैठक में रसूल को एक अलग समूह का नेता चुना गया था। एक रिपोर्ट के अनुसार, रसूल का समर्थन करने वाले लड़ाकों ने मंसूर पर व्यक्तिगत लालच के लिए आंदोलन को हाईजैक करने और पाकिस्तान के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था। तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर की मौत के बाद रसूल और मंसूर दोनों ने तालिबान के नेतृत्व का दावा किया था।
शांति वार्ता का किया था विरोध
रसूल के नेतृत्व में अलग हुए गुट ने अफगान सरकार के साथ शांति वार्ता का विरोध किया था और यहां तक कि मंसूर पर मुल्ला उमर की मौत को छिपाने का आरोप लगाया था। तालिबान के संस्थापक, उमर की कथित तौर पर 2013 में तपेदिक से मौत हो गई थी। उसकी मौत को दो साल तक गुप्त रखा गया था।