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नई मुसीबत: कर्नाटक में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों पर अब टीबी का कहर, 25 मामले आए सामने

कर्नाटक में कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो चुके मरीज तपेदिक (टीबी) से संक्रमित हो रहे हैं। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने गुरुवार को बताया कि राज्य में अब तक 23-25 ​​ऐसे मामले दर्ज किए हैं और अतिरिक्त एहतियात के तौर पर सरकार ने कोरोना से संक्रमित होकर स्वस्थ हुए लोगों में टीबी के लक्षणों की जांच शुरू कर दी है।

सुधाकर ने बुधवार को विधानसभा को सूचित किया कि राज्य में अब तक 28 लाख से अधिक लोगों के स्वस्थ होने की सूचना मिली है और चूंकि कोरोना वायरस और टीबी दोनों फेफड़ों को प्रभावित करते हैं, इसलिए टीबी का जल्द पता लगाने में मदद के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। सुधाकर ने कहा कि जो लोग कोविड -19 से उबर चुके हैं, उन्हें स्वेच्छा से टीबी जांच करवाना चाहिए। यदि प्रारंभिक अवस्था में इसका पता चल जाता है तो इलाज आसान हो जाएगा।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा में मानसून सत्र के दौरान कहा कि भारत में पिछले वर्ष की तुलना में 2020 में टीबी के मामलों में 25% की गिरावट देखी गई है। सदन में मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत में जनवरी और दिसंबर 2020 के बीच 18 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए, जबकि एक साल पहले यह संख्या 24 लाख थी।

सुधाकर ने स्वीकार किया कि महामारी के कारण आउट पेशेंट क्लीनिकों को बंद होने से स्क्रीनिंग और जांच रुक गई है। उन्होंने कहा कि यह देखा जाना है कि 2025 तक टीबी मुक्त भारत के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बुधवार को घोषणा की कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त 24 देशों के समूह से संबंधित ब्राजील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ता इस मुद्दे पर अध्ययन करेंगे। साथ ही टीबी संक्रमण की महामारी विज्ञान संबंधी विशेषताओं पर कोविड-19 का प्रभाव और इन दो प्रक्रियाओं की परस्पर क्रिया के लिए जिम्मेदार तंत्र की खोज करेंगे।