फाइजर बायोटेक की कोरोना वैक्सीन अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) से पूर्ण स्वीकृति पाने वाली पहली वैक्सीन बन गई है। अब यह वैक्सीन 16 साल से ऊपर के लोगों को लगाई जाएगी। इसके अलावा यह 12 से 15 वर्ष के लोगों के लिए भी इमरजेंसी में इस्तेमाल हो सकेगी। वहीं कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों के लिए इसका इमरजेंसी में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।
कोरोना से लड़ाई में होगा अहम हथियार
एफडीए कमिश्नर जैनेट वुडकॉक ने कहा कि एफडीए से इस वैक्सीन को अप्रूवल मिलना अपने आप में बड़ी बात है। इंडिया टुडे की ख्कबर के मुताबिक कोविड 19 पैंडेमिक से लड़ाई में यह एक अहम हथियार साबित होगा। उन्होंने कहा कि एफडीए से अप्रूवल मिलने के चलते लोगों को पूरा भरोसा रहेगा कि यह एक स्टैंडर्ड दवा है। साथ ही इसकी सेफ्टी, सिक्योरिटी और प्रभाव को लेकर भी लोगों में भरोसा रहेगा। जैनेट वुडकॉक ने कहा कि हालांकि लाखों लोग कोरोना की वैक्सीन ले चुके हैं। वहीं एफडीए से अप्रूव्ड वैक्सीन मार्केट में आने के बाद लोग और ज्यादा उत्साह से वैक्सीन लगवाएंगे।
कड़ी प्रक्रिया से होती है एफडीए की जांच
एफडीए से अप्रूवल के दौरान वैक्सीन की क्वॉलिटी, सुरक्षा और प्रभाव को लेकर जांच की गई है। एफडीए किसी वैक्सीन के अप्रूवल से पहले इससे जुड़े आंकड़ों और सूचनाओं के साथ-साथ बायोलॉजिक्स लाइसेंस अप्लीकेशन सब्मिट होने की भी जांच करता है। इसके अलावा वैक्सीन के मैन्युफैक्चरिंग प्रॉसेस, उसकी क्वॉलिटी और जहां पर वैक्सीन का निर्माण किया गया है, उन साइट्स की जांच भी की जाती है। इसके अलावा एफडीए यह भी जांच करती है कि लाइसेंस में दी गईं जानकारियां पूरी तरह से सही हैं या नहीं।