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लखनऊ में 15 माह बाद कोरोना का कोई नया मरीज नहीं मिला, केवल 26 एक्टिव केस

लखनऊ में 11 मार्च 2020 को कोरोना का पहला मरीज सामने आया था। तबसे लगातार मरीजों सामने आ रहे थे। छह मई 2020 को कोरोना संक्रमण से मरीजों को राहत मिली थी। उस दिन भी कोरोना ने किसी को चपेट में नहीं लिया था। उसके बाद से वायरस कभी नहीं थमा। दूसरी लहर में सबसे ज्यादा 16 अप्रैल को 6,598 लोग संक्रमण की जद में आएं। इस साल यह पहला मौका है जब कोरोना का कोई नया मरीज सामने नहीं आया है।

रोजाना 16 हजार हो रही जांच

सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक भले ही कोरोना वायरस की चाल धीमी पड़ी। पर, जांच का सिलसिला लगातार जारी है। 14 से 16 हजार लोगों की कोरोना जांच हो रही है। इसमें 60 प्रतिशत लोगों की एंटीजेन जांच कराई जा रही है। 40 प्रतिशत लोगों की आरटी-पीसीआर जांच कराई जा रही है। कोरोना से मुकाबला करने में कान्ट्रेक्ट ट्रेसिंग बड़ा हथियार है। लिहाजा बुखार, सर्दी, जुकाम, गले में दर्द, डायरिया होने पर कोरोना की जांच कराने में संकोच न करें। सरकारी अस्पतालों में कोरोना की मुफ्त जांच हो रही है।

डेढ़ माह से नहीं हुई कोई मौत

डॉ. मनोज अग्रवाल के मुताबिक कोरोना संक्रमितों की मौत का सिलसिला करीब डेढ़ माह से थमा है। अब तक 2651 कोरोना संक्रमितों की सांसें थम चुकी हैं। सोमवार को दो मरीजों ने वायरस को मात देने में कामयाबी हासिल की है। 

अभी 26 सक्रिय मरीज 

अब तक 2,38,672 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। मौजूदा समय में 26 सक्रिय मरीज हैं। इनमें से अस्पतालों में कोई भी कोरोना संक्रमित भर्ती नहीं है। हालांकि केजीएमयू, पीजीआई और लोहिया संस्थान में कोरोना संक्रमितों की भर्ती की पुख्ता व्यवस्था है।

राजधानी के लिए सोमवार का दिन खुशियों की सौगात लेकर आया। 15 माह बाद लखनऊ में कोरोना का कोई नया मरीज सामने नहीं आया है। इससे स्वास्थ्य विभाग ने राहत की सांस ली है। अधिकारियों का कहना है कि राजधानी में अभी भी सक्रिय मरीज हैं। बाहर से आने-जाने वालों का भी सिलसिला जारी है। लिहाजा बहुत संजीदा रहने की आवश्यकता है। जरा सी चूक से कोरोना संक्रमण रफ्तार पकड़ सकता है।