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दुनिया से तालिबान से बात करने की मांग क्यों कर रहा पाकिस्तान, अफगानिस्तान से है क्या खतरा?

पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं मोइद युसूफ। उन्होंने कहा है कि, ‘पश्चिमी देशों ने पाकिस्तान की बात नहीं सुनकर गलती की है। हमने यूरोपीय देशों से कई बार कहा कि अशरफ गनी को अफगानिस्तान में समर्थन की कमी है लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई। अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ भाग जाने से यूरोपीय देशों ने खुद को शर्मिंदा किया है।’युसूफ ने आगे कहा है कि पश्चिमी देशों ने फिर से 1990 के दशक वाली गलती की है। अफगानिस्तान में सुरक्षा के लिहाज से एक खालीपन बन रहा है। इससे सबसे पहले पाकिस्तान में और फिर पश्चिमी देशों में आतंक पनप सकता है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान अपने बॉर्डर पर अधिक शरणार्थियों को फैलने देने का खामियाजा नहीं उठा सकता है।पाकिस्तान द्वारा तालिबानको सपोर्ट किए जाने को लेकर उन्होंने कहा है कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने 80 हज़ार लोगों को खोया है और इसमें 150 बिलियन डॉलर का खर्च हुआ है। उन्होंने पश्चिमी देशों पर पाकिस्तान को बलि का बकरा बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि अब दुनिया को सबक सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए।मोइद युसूफ ने पाकिस्तान को पाक-साफ़ बताते हुए कहा है कि पाकिस्तान पिछले दो दशकों से आतंक को लेकर जारी युद्ध का शिकार रहा है। पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश है, जो सच बोल रहा था। हमने अमेरिका और नाटो से कहा था कि वह मिलिट्री जीत के हिसाब से जीत का लक्ष्य न रखें लेकिन उन्होंने पूरी तरह से जीतने का लक्ष्य रखा और अब लौट गए हैं। हमने पश्चिमी देशों से कहा था कि आप अफगानिस्तान के लोगों का नब्ज़ नहीं समझ रहे लेकिन उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी।