अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडन प्रशासन ने पहली बार चीनी सेना के साथ बातचीत की है। पेंटागन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दोनों देश के बीच जोखिम प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर बातचीत की है। यह जानकारी न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स ने टॉप अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से दी है।
अमेरिका ने पिछले कुछ सालों से चीन को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के केंद्र में रखा है। बाइडन प्रशासन ने बीजिंग के साथ प्रतिद्वंद्विता को इस सदी का सबसे बड़ा जियोपॉलिटिकल टेस्ट बताया है।
हाल के सालों में अमेरिका और चीन के संबंध बद से बदतर होते गए हैं। दुनिया के दो सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश ताइवान, तिब्बत, मानवाधिकार रिकॉर्ड से लेकर दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधि तक हर चीज़ पर टकरा रही हैं। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने लंबे वक्त से अपने चीनी समकक्षों के साथ कम्युनिकेशन की बात की है ताकि किसी भी भड़काऊ मसले और दुर्घटना मामले से निपटा जा सके।
दक्षिण चीन सागर विवादों पर अमेरिका बात करता रहेगा
चीन के लिए रक्षा उप सहायक सचिव माइकल चेज़ ने पिछले सप्ताह चीनी मेजर जनरल हुवांग जुएपिंग से बातचीत की थी। जुएपिंग चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी के इंटरनेशनल मिलिट्री कोऑपरेशन के उप निदेशक हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि दोनों पक्ष दोनों सेनाओं के बीच कम्युनिकेशन के लिए ओपन चैनल बनाए रखने के महत्व पर सहमत हुए हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अमेरिकी डिफेंस सेक्रेट्री लॉयड ऑस्टिन भी अपने चीनी समकक्ष से जल्द ही बातचीत कर सकते हैं।हाल में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा है कि अमेरिका प्रतिस्पर्धा का स्वागत करता है और बीजिंग के साथ संघर्ष नहीं चाहता है लेकिन दक्षिण चीन सागर में समुद्री विवादों पर बात करेगा।