अमेरिका ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में तालिबान को कूटनीतिक रूप से मान्यता देने के लिए काम चाहते है बातें नहीं। शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि तालिबान ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अफगानिस्तान में “एक अमेरिकी राजनयिक उपस्थिति देखना चाहते हैं”।उन्होंने कहा, “वे इस बात में बिल्कुल स्पष्ट और काफी खुले हैं कि वे चाहते हैं कि अन्य देश अपने राजनयिक मिशनों को बनाए रखें”।
उन्होंने कहा कि तालिबान के एक प्रवक्ता ने कहा था कि “हम उन दूतावासों की सराहना करते हैं जो खुले रहते हैं और काम करते हैं। हम उन्हें उनकी सुरक्षा और सुरक्षा का आश्वासन देते हैं”। प्राइस ने कहा कि अमेरिका ने अभी तक इस मुद्दे पर फैसला नहीं लिया है, लेकिन “यह एक ऐसी चीज है जिस पर हम अपने भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से चर्चा कर रहे हैं और यहां भी इसके बारे में सोच रहे हैं”।
उन्होंने कहा “हम आज उनका जवाब देने के लिए तैयार नहीं हैं, ठीक है क्योंकि हमने तालिबान से कई बयान सुने हैं। उनमें से कुछ सकारात्मक रहे हैं, उनमें से कुछ रचनात्मक रहे हैं, लेकिन आखिरकार हम जो खोज रहे हैं वो ये है कि हमें काम चाहिए बातें नहीं।” प्राइस ने जोर देकर कहा, “भविष्य की किसी भी राजनयिक उपस्थिति, मान्यता का कोई भी सवाल तब उठता है जब काम हो केवल बातें नहीं।
गौरतलब है कि अफगान में तालिबान का राज शुरू होने के बाद से ही अफरातफरी का माहौल है। गुरुवार को अफगानिस्तान के काबुल हवाई अड्डे के पास हुए सीरियल बम धमाकों में अमेरिका के 13 जवानों की मौत हो गई है। काबुल एयरपोर्ट पर हुए दिल दहला देने वाले धमाकों में 12 अमेरिकी नौसैनिकों और एक नौसेना का चिकित्साकर्मी शामिल था। हालांकि, इन बम धमाकों में अब तक कुल 72 लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, इन धमाकों के बाद भी अमेरिका अपना निकासी अभियान नहीं रोकेगा। राष्ट्रपति जो बाइडन ने ऐलान किया है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों को निकालने का काम जारी रहेगा।
बता दें कि अफगानिस्तान पर 20 साल के बाद एक बार फिर तालिबान का कब्जा हो गया है। उसने देश के राष्ट्रपति भवन पर भी कब्जा जमा लिया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को सत्ता सौंप दी है। राष्ट्रपति गनी ने देश छोड़ दिया है।