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दुनियाभर के युद्ध में मरने और घायल होने वाले एक चौथाई बच्चे अफगानी

दुनियाभर में जारी युद्ध की कीमत बच्चों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक 15 सालों के दौरान युद्धक हमले में जान गंवाने या घायल होने वाले कुल 1,04,100 बच्चों में एक चौथाई से अधिक अफगानी बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक वर्ष 2005 से 2019 तक 26025 अफगानी बच्चे हताहत हुए, इस संख्या के वर्ष 2020 अंत तक करीब 26500 हो जाने का अनुमान है।अफगानिस्तान के हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2021 की पहली छमाही में ही युद्ध के कारण जान गंवाने या घायल होने वाले बच्चों की संख्या 3722 (468 की मौत और 3254 घायल) दर्ज की गई। यूनिसेफ के मुताबिक युद्ध में बच्चों के प्राण गंवाने की घटनाएं केवल अफगानिस्तान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सीरिया, सोमालिया, नाइजीरिया समेत कई देशों में ऐसे ही हालात हैं। युद्ध ग्रस्त देशों में बच्चों के अपहरण, यौन उत्पीड़न और उन्हें आतंकी संगठनों में भर्ती कराने की घटनाएं आम हैं। स्कूलों पर हमले के कारण बच्चे और शिक्षक मारे जा रहे हैं, तो हमले के शिकार बच्चों को मदद नहीं मिलने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। इस दौरान बाल यौन उत्पीड़न की 14 हजार से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं, लेकिन असल संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है। यूनिसेफ के मुताबिक अंतररराष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 2020 तक 15 सालों के दौरान युद्ध के शिकार 14,900 बच्चों को कोई मदद नहीं मिली। इस अवधि में दुनिया के 25700 से अधिक बच्चों का अपहरण किया गया।

64 फीसदी अफगानी बच्चों और वयस्कों की मौत आतंकी हमले में हुई:

यूनिसेफ के मुताबिक 15 सालों के दौरान दुनियाभर में करीब 2.66 लाख बच्चों के अधिकारों का हनन किया गया। ये बच्चे अफ्रीका, एशिया, मध्य पूर्व और लैटिन अमेरिका के 30 से अधिक युद्धग्रस्त क्षेत्रों में रह रहे हैं। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने माना कि वास्तविक आंकड़े इससे बहुत ज्यादा हो सकते हैं।

64 फीसदी अफगानी बच्चों और वयस्कों की मौत आतंकी हमले में हुई:64 फीसदी अफगानी बच्चों और वयस्कों की मौत आतंकी हमले में हुई:

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस साल अफगानिस्तान में बच्चों और वयस्कों की 64 फीसदी मौत की वजह आतंकी हमले रहे। तालिबान के हमले के कारण 39 फीसदी और आईएस के हमले के कारण नौ फीसदी मौतें हुईं। आरोप है कि अफगान सेना के हमले में 23 फीसदी मौतें हुईं, जबकि 16 फीसदी मौतों का कारण नहीं पता चल सका है। दो फीसदी मौतें सरकार समर्थक संगठनों के हमले से हुईं। वर्ष 2021 की पहली छमाही में हमलों के कारण 1659 अफगानियों की जान गई और 3254 लोग घायल हुए। यह आंकड़ा पिछले साल की छमाही की तुलना में 46 फीसदी अधिक है।