मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति को बताया कि एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के अंतर्गत कालानमक धान एवं टेराकोटा के उत्पाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रतिष्ठित कालानमक अपनी स्वाद ,खुश्बू और पोषक तत्वों (आयरन एवं जिंक की अधिकता एवं गलेशमिक इंडेक्स का कम होना) से भरपूर होने के कारण विदेशों में भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। पिछली दीपावली पर भी योगी आदित्यनाथ ने महामहिम को ओडीओपी का गिफ्ट हैम्पर भेजा था, उसमें भी कालानमक चावल की भीनी भीनी खुश्बू थी। फिलहाल सीएम योगी द्वारा इस विशेष प्रजाति के चावल को इसके मूल उत्पादन जिले सिद्धार्थनगर समेत कई जिलों की ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद इसको विलुप्त होने से न केवल बचाया गया है बल्कि अब इसकी ब्रांडिंग भी ग्लोबल हो गई है। शनिवार को गोरखपुर आगमन पर राष्ट्रपति के लंच मीनू में कालानमक चावल खास तौर पर शामिल था।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति को बताया कि एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के अंतर्गत कालानमक धान एवं टेराकोटा के उत्पाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रतिष्ठित कालानमक अपनी स्वाद ,खुश्बू और पोषक तत्वों (आयरन एवं जिंक की अधिकता एवं गलेशमिक इंडेक्स का कम होना) से भरपूर होने के कारण विदेशों में भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। पिछली दीपावली पर भी योगी आदित्यनाथ ने महामहिम को ओडीओपी का गिफ्ट हैम्पर भेजा था, उसमें भी कालानमक चावल की भीनी भीनी खुश्बू थी। फिलहाल सीएम योगी द्वारा इस विशेष प्रजाति के चावल को इसके मूल उत्पादन जिले सिद्धार्थनगर समेत कई जिलों की ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद इसको विलुप्त होने से न केवल बचाया गया है बल्कि अब इसकी ब्रांडिंग भी ग्लोबल हो गई है। शनिवार को गोरखपुर आगमन पर राष्ट्रपति के लंच मीनू में कालानमक चावल खास तौर पर शामिल था।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रपति को बताया कि एक जिला एक उत्पाद योजना (ओडीओपी) के अंतर्गत कालानमक धान एवं टेराकोटा के उत्पाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महात्मा बुद्ध के महाप्रसाद के रूप में प्रतिष्ठित कालानमक अपनी स्वाद ,खुश्बू और पोषक तत्वों (आयरन एवं जिंक की अधिकता एवं गलेशमिक इंडेक्स का कम होना) से भरपूर होने के कारण विदेशों में भी लोकप्रियता हासिल कर रहा है। पिछली दीपावली पर भी योगी आदित्यनाथ ने महामहिम को ओडीओपी का गिफ्ट हैम्पर भेजा था, उसमें भी कालानमक चावल की भीनी भीनी खुश्बू थी। फिलहाल सीएम योगी द्वारा इस विशेष प्रजाति के चावल को इसके मूल उत्पादन जिले सिद्धार्थनगर समेत कई जिलों की ओडीओपी में शामिल किए जाने के बाद इसको विलुप्त होने से न केवल बचाया गया है बल्कि अब इसकी ब्रांडिंग भी ग्लोबल हो गई है। शनिवार को गोरखपुर आगमन पर राष्ट्रपति के लंच मीनू में कालानमक चावल खास तौर पर शामिल था।
एक जिला एक उत्पाद में शामिल हुआ तो लगे पंखे
कालानमक चावल का इतिहास उतना ही पुरातन है, जितना की भगवान बुद्ध का जीवनकाल। बुद्धभूमि सिद्धार्थनगर में इसकी खेती तत्समय से ही होती रही है। बौद्धकालीन ग्रन्थों में यह लिखा है कि महात्मा बुद्ध ने इसे प्रसाद रूप में खुद ग्रहण किया था और अपने शिष्यों को भी खिलाया था। कालानमक सिर्फ अपनी खुश्बू और स्वाद के लिए ही मशहूर नहीं है, इसकी स्वास्थ्य संबंधी खूबियां भी इसे नायाब बनाती हैं। इसे पोषक तत्वों का खजाना कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। आयरन व जिंक की प्रचुरता तो इसमें है ही, ग्लेस्मिक इंडेक्स कम होने से मधुमेह के रोगी भी बेफिक्र होकर इसके स्वाद का लुत्फ लेते हैं। प्राचीन विरासत के आवरण में पोषक गुणों को ध्यान में रखते ही योगी सरकार ने इसे एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत सिद्धार्थनगर के विशिष्ट उत्पाद के रूप में शामिल किया। यही नहीं केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसे सिद्धार्थनगर, महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती समेत पांच जिलों का ओडीओपी घोषित किया है। पूर्वांचल के समान कृषि जलवायु वाले 11 जिलों के लिए कालानमक को जियोग्राफिकल आइडेंटीफिकेशन (जीआई) भी प्राप्त है। वर्तमान में पूर्वांचल में कालानमक का रकबा 55 हेक्टेयर से अधिक हो चुका है। 12.50 करोड़ करोड रुपये की लागत से कालानमक की सीएफसी भी सिद्दार्थनगर में बनाई जा रही है।
गोरखपुर के टोराकोटा की विदेशों भी मांग
राष्ट्रपति समेत सभी अतिथियों के कक्ष एवं प्रवेश द्वार को टेराकोटा के उत्पाद से सजाया गया था। एक जिला एक उत्पाद में शामिल टेराकोटा के छोटे बड़े उत्पाद सभी अतिथियों का ध्यान आकृष्ट कर रहे थे। राष्ट्रपति एवं राष्ट्र की प्रथम महिला को बताया गया कि टेराकोटा के खास उत्पाद गोरखपुर जिले के औरंगाबाद से लोकप्रिय हुए हैं। एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल होने के बाद इनकी विदेशों तक से डिमांड की जा रही है। इनका जीआई टैग भी गोरखपुर के नाम ही है। सरकार इनसे जुड़े कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए न केवल देश भर में प्रदर्शनी में स्थान मुहैय्या कराती है, बल्कि उनके कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण, जरूरी संसाधान, इलेक्ट्रिक चाक, आधुनिक भट्टी, मिट्टी गूथने की मशीन, निर्माण के लिए डिजाइनर सांचे और कारोबार बढ़ाने के लिए सस्ते ब्याज पर ऋण भी मुहैय्या करा रही है। एमेजन, फ्लिपकार्ट और जेमपोर्टल पर उद्यमियों के उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। एफपीओ का गठन कर इनके कारोबार को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।