बुधवार को दिल्ली में फिर से ऑफलाइन क्लासों के लिए स्कूलों को खोल दिया गया। देश के कई राज्यों में पहले से ही बड़ी क्लासों के लिए स्कूल खोले जा चुके हैं।हालांकि प्रशासन के इस फैसले पर विशेषज्ञ, स्टूडेेंट, टीचरों और अभिभावकों में बहस शुरू हो गई है। कुछ लोग कह रहे हैं कि अभी बच्चों के लिए कोरोना टीका नहीं आया है तो शायद स्कूलों को खोलना सही फैसला नहीं है। वहीं एम्स चीक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि भारत में सब बच्चों को टीका लगाने में नौ महीने का समय लगेगा और तब तक स्कूलों को बंद नहीं रखा जाना चाहिए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने बुधवार को एक विशेष इंटरव्यू में इंडिया टुडे को बताया कि भारत में सभी बच्चों का टीकाकरण करने में नौ महीने तक का समय लगेगा। उन्होंने कहा कि अगले साल के मध्य तक स्कूलों को बंद नहीं रखा जा सकता है। इसके अलावा, डॉ गुलेरिया ने कहा कि वह स्कूलों को फिर से खोलने के समर्थन में हैं क्योंकि बच्चों के लिए शारीरिक संपर्क महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि स्कूलों में सभी स्टाफ सदस्यों को टीका लगाया जाना चाहिए और लंच ब्रेक के दौरान और जब छात्र स्कूल परिसर में प्रवेश कर रहे हों या बाहर निकल रहे हों, तो भीड़ से बचने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। डॉ गुलेरिया ने कहा कि यदि स्कूलों में ज्यादा मामले दर्ज किए जाते हैं, तो फिर उन्हें बंद कर दिया जाना चाहिए।यह पूछे जाने पर कि क्या राज्यों को छोटे बच्चों के लिए भी स्कूल खोलने चाहिए, डॉ गुलेरिया ने कहा कि उन्हें ऐसा करना चाहिए क्योंकि छोटे बच्चे कोविड -19 की चपेट में नहीं आते हैं। बच्चों के लिए टीकों पर, एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत बायोटेक सितंबर के अंत तक बच्चों के लिए कोवैक्सिन के उपयोग के लिए नियामक अनुमोदन के लिए आवेदन करेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें इसी महीने मंजूरी मिलने की संभावना है।