हिन्दी पट्टी के राज्यों में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने की कामयाबी मिलती दिखायी दे रही है। हिन्दी भाषी क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, बिहार समेत पांच राज्यों में संक्रमण दर जीरो प्रतिशत हो चुकी है। जबकि दिल्ली, हरियाणा समेत पांच अन्य हिन्दी राज्यों में संक्रमण की दर 0.2 प्रतिशत तक बनी हुई है जो बताता है कि फिलहाल स्थिति बेहतर है। हालांकि देश के दक्षिण व पूर्वोत्तर राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि संकट टल गया है।
यूपी समेत पांच राज्यों में शून्य संक्रमण
एक स्वतंत्र ट्रैकर कोविड19इंडिया के मुताबिक, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश में टेस्ट पॉजिटिविटी रेशियो 0% हो गया है। हिन्दी भाषी राज्यों से इतर गुजरात में भी जांच पॉजिटिविटी अनुपात जीरो प्रतिशत दर्ज किया गया है। इन राज्यों में अब हर दिन आठ से दस नए मरीज ही मिल रहे हैं जबकि संक्रमित मरीज के मरने के मामले भी बेहद कम हो गए हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में 19 अगस्त के बाद से हर दिन 18 से कम नए मरीज मिल रहे हैं और पांच से कम मौतें हो रही हैं। सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में हर दिन 50 से कम नए मरीज मिल रहे हैं।
दिल्ली समेत पांच राज्यों में संक्रमण मंद
इस वक्त देश की राजधानी दिल्ली में जांच पॉजिटिविटी अनुपात 0.1 प्रतिशत बना हुआ है जो शून्य प्रतिशत से कुछ अधिक है। यानी संक्रमण फैलने की रफ्तार बेहद मंद है। ठीक यही हाल नजदीकी राज्य हरियाणा और पंजाब का है। दूसरी लहर में जिस छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद खराब थी, वहां भी जांच पॉजिटिविटी अनुपात 0.1% है जबकि उत्तराखंड 0.2% दर्ज किया जा रहा है। हिन्दी भाषी क्षेत्र में शामिल होने वाला हिमाचल प्रदेश ही अकेला ऐसा राज्य है जहां संक्रमण दर 2.2 प्रतिशत बनी हुई है।
टेस्ट पॉजिटिविटी अनुपात का मतलब समझिए
टेस्ट पॉजिटिविटी रेशियो का मतलब किसी क्षेत्र में होने वाली कोविड-19 जांचों और उसमें संक्रमित पाए जाने वाले नमूनों के अनुपात से है। यह दर शून्य हो जाने का मतलब है कि उस क्षेत्र में संक्रमित पाए जाने वाले लोगों की संख्या बेहद कम हो गई है। यहां से समझना जरूरी है कि शून्य का अर्थ ये नहीं है कि वहां नए केस ही नहीं आ रहे हैं। एक और तथ्य ये है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अगर कहीं पॉजिटिविटी रेट तीन फीसदी से कम है तो वहां कोरोना नियंत्रण में माना जाएगा।
मगर सावधानी तब भी जरूरी
भले देश के उत्तरी व मध्य भारत के बड़ी आबादी वाले हिन्दी भाषी राज्यों में फिलहाल संक्रमण की स्थिति नियंत्रण मे हो लेकिन तब भी इन राज्यों में रहने वालों को बचाव के तरीकों का सख्ती से पालन करने की जरूरत है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी किसी भी हालात में बचाव के उपायों को हल्का नहीं किया जा सकता। विशेषज्ञ मानते हैं कि जिस तेजी से कोरोना का डेल्टा स्वरूप व अन्य कई संक्रामक वेरिएंट फैले हैं, उससे इस बात को समझा जा सकता है कि ये महामारी कभी भी रूप बदल सकती है।