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Corona Third Wave:कोरोनाकाल में नियुक्त 30% डॉक्टर्स का ज्वाइन करने से इंकार

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी बरकरार है। इसमें भी मुश्किल ये है कि कोरोनाकाल में नियुक्त किए डॉक्टरों में से 30 प्रतिशत ने ज्वाइन ही नहीं किया। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है।  पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। केरल सहित कुछ राज्यों में कोरोना के मरीज बढ़ने भी लगे हैं। उत्तराखंड में सरकार ने तीसरी लहर से निपटने की तैयारियां पूर्व में ही शुरू कर दी थीं।  इस क्रम में राज्य सरकार ने बीती फरवरी में डॉक्टरों के करीब छह सौ पदों पर भर्ती निकाली थी।

इसमें से 403 डॉक्टरों का चयन किया गया लेकिन ज्वाइनिंग महज 286 डॉक्टरों ने दी। शेष 117 डॉक्टर विभिन्न वजहों से ज्वाइन नहीं करना चाहते। इसे देखते हुए सरकार अब ज्वाइन न करने वाले डॉक्टरों को सूची से हटाकर, उनकी जगह वेटिंग लिस्ट से डॉक्टरों का चयन करने जा रही है। इस प्रक्रिया में भी देरी से शासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस संबंध में सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है कि डॉक्टरों के पद भरने के प्रयास जारी हैं। वेटिंग लिस्ट के आधार पर खाली पद जल्द भर लिए जाएंगे।

26 लाख रिकार्ड डोज लगाई गईं अगस्त माह में उत्तराखंड में 
उत्तराखंड में अगस्त में 26 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाई गई। राज्य में कोरोना का टीका लगने की शुरुआत के बाद से यह एक महीने में अभी तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में कुल 26 लाख डोज लगाई गईं। इसमें से 76% को पहली जबकि 24% को दूसरी डोज लगी। 93% लोगों को कोविशील्ड जबकि सात प्रतिशत को कोवैक्सीन लगाई गई। टीका लगवाने वालों में 52% पुरुष और 48% महिलाएं रहीं।

रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी में राज्य में कुल 31 हजार डोज लगाई गई थीं। फरवरी में 1.31लाख,अप्रैल में 13 लाख, मई में आठ लाख, जून में 14 लाख से अधिक, जुलाई में 15लाख जबकि अगस्त में 26 लाख वैक्सीन डोज लगाई गई हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, राज्य में बुधवार को 85 हजार से अधिक लोगों को टीके लगाए गए। अब तक 65 हजार से अधिक लोगों को पहली डोज जबकि 20 लाख से अधिक लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं। राज्य सरकार ने दिसम्बर तक शत प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा है और उसी के अनुसार टीकाकरण की गति बढ़ाई गई है। 

डॉक्टरों के ग्यारह सौ से ज्यादा पद खाली 
राज्य में एमबीबीएस और विशेषज्ञ डॉक्टरों को जोड़ दिया जाए तो कुल एक हजार से अधिक पद खाली चल रहे हैं। इसमें से 654 पद विशेषज्ञ डॉक्टरों के हैं जबकि पांच सौ के करीब पद एमबीबीएस डॉक्टरों के हैं। हालांकि सरकार ने व्यवस्था के तहत संविदा पर नियुक्ति की है। लेकिन स्थाई डॉक्टरों के न होने से अस्पतालों में कामकाज प्रभावित हो रहा है। 

कई डॉक्टरों के नौकरी  छोड़ने की आशंका 
राज्य में 11 सितम्बर को पीजी प्रवेश परीक्षा होनी है। इस परीक्षा में बड़ी संख्या में एमबीबीएस डॉक्टरों को शामिल होना है। संविदा पर तैनात डॉक्टरों का चयन यदि पीजी के लिए हुआ तो उनका नौकरी छोड़ना तय है। पिछले सालों में बड़ी संख्या में स्थाई डॉक्टरों ने भी पीजी के लिए नौकरी छोड़ी है। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर के बीच डॉक्टरों के खाली पदों की संख्या बढ़ सकती है।