यूपी और उत्तराखंड के वाहनों के टैक्स विवाद में उत्तराखंड ने बड़ा फैसला लिया है। दोनों राज्य हर महीने की 15 तारीख को वाहनों की आवाजाही के तहत टैक्स का आकलन करेंगे और परस्पर भुगतान करेंगे। यदि यूपी नियमानुसार टैक्स नहीं देता है तो उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश को एक भी फूटी कौड़ी नहीं देगा। परिवहन सचिव डॉ. रंजीत सिंह ने इस बाबत अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए।
साथ ही दूसरे प्रदेश से आने वाले एक-एक वाहन का रिकॉर्ड रखने की हिदायत दी। सचिव नियमित रूप से इस रिकॉर्ड की समीक्षा करेंगे। परिवहन सचिव आईएसबीटी पहुंचे और वहां वाहनों के रिकॉर्ड रखने की व्यवस्था का जायजा लिया। इसके बाद उन्होंने रोडवेज एमडी नीरज खैरवाल, जीएम दीपक जैन एवं आरएम संजय गुप्ता के साथ आरटीओ दिनेश पठोई, एआरटीओ द्वारिका प्रसाद को भी आईएसबीटी बुला लिया। सचिव ने कड़े शब्दों में हिदायत दी कि दूसरे राज्यों से आने वाले हरेक वाहन का रोजाना ब्योरा तैयार किया जाए।
इस आधार पर ही दोनों राज्यों के बीच टैक्स भुगतान होगा। उन्होंने डग्गामारी पर भी कड़ी नाराजगी जताई। परिवहन सचिव ने बताया कि टैक्स विवाद के स्थायी समाधान का रास्ता तलाश जा रहा है। जल्द ही यूपी रोडवेज के साथ भी बात की जाएगी। तय किया जा रहा है कि हर माह की 15 तारीख तक दोनों राज्य अपने वाहनों की आवाजाही के अनुसार टैक्स की गणना कर लें।इसके आधार पर टैक्स भुगतान किया जाएगा। मालूम हो कि परिवहन सचिव ने बाहरी वाहनों की टैक्स चोरी का मामला हाल ही में पकड़ा है। उत्तराखंड रोडवेज जहां यूपी को हर साल तीस से 35 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में चुकाता है। यूपी से महज पांच करोड़ रुपये मिल रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि दोनों राज्यों के टैक्स पर तस्वीर साफ होने पर वाहन संचालन के लिए एसओपी भी तय की जाएगी।