देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने केंद्रीय कानून मंत्री की मौजूदगी में कहा कि जिस गति से सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की नियुक्ति के लिए कदम उठाए हैं, उसके लिए कानून मंत्री और प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करता हूं। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 12 हाईकोर्ट के लिए 68 जजों की सिफारिशों के लिए भी इसी तेजी से कदम उठाएगी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देशभर की अदालतों में ढांचागत सुविधाओं के बारे में विस्तृत रिपोर्ट अगले हफ्ते कानून मंत्रालय को सौंपी जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित अभिनंदन समारोह में शनिवार को कहा कि जिला और सत्र न्यायालयों को और सक्षम बनाने के मकसद से तैयार की गई विशेषज्ञों की रिपोर्ट में सुझाए गए उपाय काफी कारगर होंगे
कानून मंत्री एक छात्र की तरह लगे :
समारोह मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण और केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू एक साथ बैठे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक युवा और गतिशील केंद्रीय कानून मंत्री से हम उम्मीद कर सकते हैं कि चीजें तेज गति से आगे बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि उनके पास बहुत ज्ञान है। मुख्य न्यायाधीश ने हल्के अंदाज में कहा, जब वह मुझसे मिले तो मुझे लगा कि वह कॉलेज के छात्र हैं लेकिन मैं उनकी उम्र नहीं पूछना चाहता था। कानून मंत्री ने बताया कि मैंने लॉ डिग्री ली है लेकिन कानून का अभ्यास करने का अनुभव नहीं है। इस पर मैंने कहा कि यह तो और भी अच्छा है, तब आप जजों के प्रति पूर्वाग्रह नहीं रखेंगे।
न्यायालय ने बड़ी कठिनाई से पीठ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व प्राप्त किया :
न्यायपालिका में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व पर चिंता जताते हुए प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने बड़ी कठिनाई के साथ अपनी पीठ में महिलाओं की महज 11 प्रतिशत नुमाइंदगी प्राप्त की है। शीर्ष अदालत में इस समय 33 न्यायाधीशों में चार महिला न्यायाधीश हैं। उन्होंने कहा, आजादी के 75 साल बाद भी अपेक्षा होती है कि हर स्तर पर महिलाओं का कम से कम 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व हो, लेकिन मैं यहां बताना चाहूंगा कि हमने बहुत मुश्किल से उच्चतम न्यायालय की पीठ में महिलाओं के महज 11 प्रतिशत प्रतिनिधित्व को प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य आरक्षण नीति की वजह से उच्च प्रतिनिधित्व की बात कर सकते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि वकालत के पेशे में अब भी महिलाओं का स्वागत किया जाना है।समारोह में कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि अदालतों में लंबित मुकदमों का मुद्दा जटिल है। इसके लिए निचली अदालतों को हमें तत्काल देखने की जरूरत है, उन्होंने कहा कि ग्रामीण या छोटे क्षेत्र का कोई व्यक्ति न्याय पाने के लिए उठ खड़ा होता है और न्याय मिलने में देरी होती है तो यह हम सभी पर एक बड़ा सवालिया निशान है। उन्होंने कहा कि न्याय में देरी न्याय को नकारना है। देश की अदालतों में लगभग चार करोड़ मुकदमे लंबित हैं।