केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम की क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने वाले दशकों पुराने संकट को समाप्त करने के लिए ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते पर शनिवार को नई दिल्ली में हस्ताक्षर हुए। इसके बाद छह विद्रोही समूहों के 1000 से अधिक सशस्त्र उग्रवादी 30 वर्ष बाद मुख्यधारा में शामिल होने को आत्मसमर्पण करेंगे। गृह मंत्री ने कहा, यह समझौता ज्ञापन असम की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किए बिना, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को और अधिक स्वायत्तता का हस्तांतरण, कार्बी लोगों की पहचान, भाषा, संस्कृति आदि की सुरक्षा और परिषद क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगा।
मील का पत्थर साबित होगा समझौता: शाह
ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘उग्रवाद मुक्त समृद्ध पूर्वोत्तर’ के दृष्टिकोण में एक और मील का पत्थर साबित होगा। यह समझौता असम के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि कार्बी सशस्त्र समूह हिंसा को त्यागने व देश के कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। समझौते में सशस्त्र समूहों के कैडरों के पुनर्वास का भी प्रावधान है। असम सरकार कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद क्षेत्र से बाहर रहने वाले कार्बी लोगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक कार्बी कल्याण परिषद की स्थापना करेगी। कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाया जाएगा। वर्तमान समझौते में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को समग्र रूप से और अधिक विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां देने का प्रस्ताव है। मालूम हो कि 200 कार्बी उग्रवादियों ने 25 फरवरी को असम सरकार के सामने आत्मसमर्पण किया था।
समझौते के वक्त इनकी रही मौजूदगी
समझौते पर हस्ताक्षर के वक्त सभी विद्रोही संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री व आयुष मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री तुलीराम रोंगहांग, मुख्य कार्यकारी सदस्य केएएसी समेत केंद्रीय गृह मंत्रालय व असम सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
1,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज
कार्बी क्षेत्रों में विशेष विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार और असम सरकार द्वारा पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज दिया जाएगा।
इन सशस्त्र उग्रवादी संगठनों ने डाले हथियार
1- कार्बी लोंगरी नॉर्थ कछार हिल्स लिबरेशन फ्रंट
2- पीपुल्स डेमोक्रेटिक काउंसिल ऑफ कार्बी लोंगरी
3- यूनाइटेड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी
4- कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स
5- कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स (आर)
6- कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर्स (एम)
कौन हैं हथियार डालने वाले कार्बी
कार्बी असम का एक प्रमुख जातीय समुदाय है, जो कई साल से कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) की मांग करता आ रहा है। इस विद्रोही समूह का असम में हिंसा का लंबा इतिहास है। यह समूह 1980 के दशक से जातीय हिंसा, हत्याओं, अपहरण और लोगों से टैक्स वसूलने के लिए जाना जाता है।
आरक्षण के हकदार होंगे
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने समझौते के बाद कहा कि कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर असम के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। नए समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची-6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे।
3,700 से अधिक सशस्त्र कैडरों ने दो वर्षों में किया आत्मसमर्पण
केंद्रीय गृह मंत्री की मानें तो पूर्वोत्तर में पिछले दो वर्षों में 3,700 से अधिक सशस्त्र कैडरों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार राज्य में शांति कायम करने के लिए उन सभी समूहों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए तैयार हैं, जो हथियार छोड़ने को तैयार हैं। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक राष्ट्र के सामने सुरक्षा चुनौतियों का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि भारत की सीमाओं को बिना किसी ढिलाई के सुरक्षित किया जाना चाहिए।
कार्बी-आंगलोंग के विकास युग की शुरुआत : शाह
इस समझौते के बाद केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा ‘हम 2022 तक आते-आते ब्रू शरणार्थियों के रहने की व्यवस्था कर देंगे। इसी तरह एनएलएफटी समझौते में 100 करोड़ रुपये देने थे, उसमें से 40-40 करोड़ की दो किस्तें दे दी हैं। जिस कैडर ने हथियार डाला है, उनके रहने की व्यवस्था का वादा मैंने पूरा किया है। मैं भरोसा दिलाना चाहता हूं कि ये सारी शर्तें तय किए हुए समय के अंदर पूरी करेंगे। और कार्बी-आंगलोंग के शांति और विकास के युग की शुरुआत होगी।’