Sunday , December 29 2024

कोरोना के बाद केरल में निपाह वायरस से मचा हडकंप, 12 साल के बच्चे की मौत, जानें कैसे फैलता है संक्रमण

कोरोना महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह जूझ रहे केरल में अब रविवार को नया वायरस सामने आया है जिसके बाद से राज्य में हडकंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग को भी झटका लगा, जब उन्हें बता चला कि केरल के कोझिकोड निपाह वायरस में से 12 साल के एक लड़के की मौत हो गई। बता दें कि इस लड़के की मौत के बाद दो स्वास्थ्यकर्मी भी वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।

केंद्र की एक स्वास्थ्य टीम ने रविवार को केरल के कोझीकोड जिले का दौरा किया और इलाके से रामबूटन फलों के नमूने एकत्र किए। सरकार के एक बयान के अनुसार, ये सैंपल वायरस के पैदा होने को लेकर जानकारी जुटाने में मदद कर सकते हैं। 

दिल्ली के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम ने परिवार और लड़के के करीबी लोगों के साथ बातचीत की और उसके द्वारा खाए गए भोजन और उसके संपर्क में आने वाले जानवरों की पहचान की। लड़के के कम से कम 18 करीबी लोग, मुख्य रूप से रिश्तेदार और स्वास्थ्य कार्यकर्ता, और 150 माध्यमिक संपर्कों की पहचान की गई है और उन्हें क्वारंटाइन में भेज दिया गया है। बाद में दो स्वास्थ्य कर्मियों में निपाह के लक्षण दिखे।

नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की टीम ने सभी को अतिरिक्त सतर्क रहने और बीमारी के लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य पेशेवरों को जल्द से जल्द सूचित करने की सलाह दी है, बता दें कि इस बीमारी की मृत्यु दर 40 प्रतिशत से 80 प्रतिशत है।

केंद्रीय अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय निवासियों को अपने घरों और आसपास प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि राज्य सरकार ने निपाह पीड़ित के घर के तीन किलोमीटर के दायरे में प्रतिबंध लगा दिया है और इसे एक कंटेनमेंट जोन घोषित कर दिया। कोझीकोड, मलप्पुरम और कन्नूर जिलों के आस-पास के इलाकों में भी इसी तरह के एहतियाती कदम जारी किए गए हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह वायरस का प्रकोप केरल के कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में 2018 में सामने आया था। निपाह वायरस रोग फलों के चमगादड़ों के कारण होता है और संभावित रूप से मनुष्यों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी घातक है।

निपाह वायरस रोग के लक्षण क्या हैं?

इसके होने के बाद सांस की बीमारी के साथ बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, बुखार, चक्कर आना और मतली जैसी समस्याएं सामने आती हैं।  कुछ लोगों में मिर्गी के लक्षण दिखने की भी संभावना होती है। एक बार जब संक्रमण बढ़ जाता है तो रोगी बेहोश हो सकता है और दिमागी बुखार हो सकता है, जिसके बाद मौत भी हो सकती है।

क्या निपाह वायरस रोग के इलाज के लिए कोई दवा है?

निपाह वायरस रोग के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है लेकिन मरीजों को एंटी-विट्रियल दवाएं दी जाती हैं।

निपाह वायरस कैसे संक्रमित होता है?

मुख्य रूप से लोग पक्षियों और जानवरों के जरिए इससे संक्रमित हो जाते हैं और फल चमगादड़ मुख्य वाहक होते हैं।  आम तौर पर ये वायरस इंसानों में इंफेक्शन की चपेट में आने वाली चमगादड़ों, सूअरों या फिर दूसरे इंसानों से फैलता है। यह जानवरों से इंसानों में शरीर के तरल पदार्थ के जरिए फैलता है और उसी तरह इंसानों में भी फैल सकता है।

निपाह वायरस के संक्रमण को कैसे रोकें?

लोगों को पक्षियों या जानवरों द्वारा काटे गए फलों से बचना चाहिए और चमगादड़ और अन्य पक्षियों से दूर रहना चाहिए। उन्हें चमगादड़ से प्रभावित क्षेत्रों से एकत्रित ताड़ी नहीं पीनी चाहिए। उन्हें डबल मास्क पहनना चाहिए और अपने हाथ ठीक से धोना चाहिए। अगर किसी को अस्पताल जाना है तो वह पीपीई किट पहन कर ही जाए।